Tuesday, April 8, 2008

वन्देमातरम् : महूं पांवे परंव तोर भुँइया (1)

डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा

जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मँइया

अरपा पैरी के धार महानदी हे अपार

इँदिरावती हा पखारय तोर पइयां

महूं पांवे परंव तोर भुँइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मइया ।।

सोहय बिंदिया सहीं घाटे डोंगरी पहार

चंदा सुरूज बनय तोर नैना

सोनहा धाने के अंग लुगरा हरियर हे रंग

तोर बोली हावय सुग्घर बैना

अंचरा तोर डोला वय पुरवइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मइया

रयगढ़ हावय सुग्घर तोरे मउरे मुकुट

सरगुजा अउ बिलासपुर हे बंइया

रयपुर कनिहा सही घाते सुग्गर फबय

नांदगांव दुरूग करधनिया

अँचरा तोर डोलावय पुरवइया

जय हो जय हो छत्तीसगढ़ मँइया

No comments:

सत्वाधिकारी प्रकाशक - डॉ. परदेशीराम वर्मा

प्रकाशित सामग्री के किसी भी प्रकार के उपयोग के पूर्व प्रकाशक-संपादक की सहमति अनिवार्य हैपत्रिका में प्रकाशित रचनाओं से प्रकाशक - संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है

किसी भी प्रकार के वाद-विवाद एवं वैधानिक प्रक्रिया केवल दुर्ग न्यायालयीन क्षेत्र के अंतर्गत मान्य

हम छत्तीसगढ के साहित्य को अंतरजाल में लाने हेतु प्रयासरत है, यदि आप भी अपनी कृति या रचना का अंतरजाल संस्करण प्रस्तुत करना चाहते हैं तो अपनी रचना की सीडी हमें प्रेषित करें : संजीव तिवारी (tiwari.sanjeeva जीमेल पर) मो. 09926615707