जीवनलाल साव
श्री वासुदेव जी को मैं सन् १९५५ से जानता हूं जब वे प्रजा समाजवाद पार्टी की ओर से झोपड़ी छाप में श्री मोहनला जी बाकलीवाल के खिलाफ चुनाव समर में उतरे थे। मैं तथा महासमुंद तहसील के प्रजा सोसलिस्ट पार्टी के बहुत से सदस्य उनके चुनाव प्रसार में गये थे। हमारी पार्टी का दुर्भाग्य रहा कि वे बहुत ही कम अंतर से चुनाव हारे थे परन्तु उनके चुनाव समर में उतरने से पार्टी की ताकत दुर्ग जिले में और मजबूत हुई। वैसे भी व्ही.वाय. तामस्कर, वासुदेव देशमुख जैसे प्रखर नेता दुर्ग जिले के राजनीति में विरोध के स्वर को मजबूत बनाये हुए थे।
श्री वासुदेव चन्द्राकर जी को याद करते ही मुझे उनकी जवानी में त्याग और बलिदान की बातें याद आती है। आर्थिक दृष्टि से संपन्न परिवार में जन्म लेने के बाद भी वो तन मन से समाजवादी थे, जमीन पर सोना, साधारण कपड़े पहनना, साधारण भोजन करना उनके आचरण में शुमार था जो आज भी है। उन्हीं आचरण के कारण वे आज भी गरीबों और जनता में लोकप्रिय रहे जो लोकप्रियता आज भी है। राजनीति में नेता उभरते हैं और कुछ दिन सत्ता भोगने के बाद उनकी लोकप्रियता समाप्त् हो जाती है परन्तु श्री वासुदेव जी ने अपने जीवन में बड़े-बड़े पदों पर आसीन रहते हुए कभी अहम् को अपने दिमाग में आने नहीं दिया। संगठन के मामले में अपार शक्ति एवं बुद्धिमता के धनी हैं, यही कारण है कि पिछले ३० वर्षोंा से वे दुर्ग जिले में लगातार कांग्रेस के अध्यक्ष बने हैं, जबकि ऐसा उदाहरण छत्तीसगढ़ क्या पुराने मध्यप्रदेश में भी एक भी नहीं है।
मुझे यह कहने में जरा भी संकोच नहीं है कि कांग्रेस संगठन में धीरे-धीरे किसानों, मजदूरों और छत्तीसगढ़ के मूल निवासियों का वर्चस्व समाप्त् होता गया, पुराने मध्यप्रदेश में छत्तीसगढ़ के ७ जिले सरगुजा, बिलासपुर, रायगढ़, रायपुर, दुर्ग, राजनांदगांव, बस्तर में संगठन के जिला अध्यक्ष पद पर किसानों का वर्चस्व खत्म होता गया और व्यापारी किस्म के लोगों का वर्चस्व होता गया परन्तु एकमात्र श्री चन्द्राकर जी छत्तीसगढ़िया एवं किसान नेता विराजमान है इसीलिए मैं उन्हें छत्तीसगढ़ का क्या मध्यप्रदेश का चाणक्य कहता हूं।
मैं दुर्ग जिले की राजनीति से बहुत लंबे समय से जुड़ा हूं और सन् १९७० में तो लोकसभा उपचुनाव गुण्डरदेही एवं पाटन क्षेत्र से साथी महेश तिवारी तत्कालीन समाजवादी पार्टी का चुनाव संचालन भी किया था तब से आज तक बारीकी से उनकी संगठन क्षमता से वाकिफ हूं। भगवान उन्हें शतायु बनावें और उनके संगठन क्षमता का लाभ कांग्रेस पार्टी को मिलता रहे। क्रांतिकारी भावनाओं के साथ ..
भवदीय,
जीवनलाल साव
०००
Saturday, July 26, 2008
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