अगासदिया यात्रा एवं उपलब्धि
सौमनस्य, प्रेम और सहिष्णुता के लिए चर्चित अंचल छत्तीसगढ़ की मंचीय महिमा और अन्य विशिष्टता पर केन्द्रित कार्यक्रमों की निरन्तरता से अगासदिया की पहचान जुड़ी है। वैचारिक संगोष्ठियों, विशिष्ट प्रकाशनों और सम्मान समारोहों के माध्यम से धरती से अगास की यात्रा पथ पर अग्रसर साधकों के अवदान पर यथोचित चर्चा भी इस मंच के द्वारा होती है। छत्तीसगढ़ की अस्मिता के लिए समर्पित साहित्यिक, सामाजिक, मंचीय उद्देश्यों से जुड़े संगठन की गतिविधियों की विस्तृत रपट -
कुछ उल्लेखनीय और यादगार आयोजन -
१) गुरु घासीदास जयंती
२) तुलसी प्रसंग
३) कबीर प्रसंग
४) डॉ. खूबचंद बघेल समारोह
५) चंदूलाल चंद्राकर समारोह
६) दाऊ महासिंह चंद्राकर सम्मान समारोह
७) सुरता मिनीमाता
८) दाऊ वासुदेव चंद्राकर अमृत महोत्सव
महासिंह चंद्राकर सम्मान : मंचीय कला में योगदान एवं उपलब्धि के लिए -
१. अंतर्राष्ट्रीय ख्याति प्राप्त् पंथी गुरु - देवदास बंजारे को, ग्राम परसदा में २००
२. विलक्षण प्रतिभा सम्पन्न कलाकार -
श्री रिखी क्षत्रिय को ०१ : कुर्मी भवन,एवं लाकवाद्य संग्राहक सेक्टर-७, भिलाई
३. पंथी के युवा साधक - डॉ. आर.एस. बारले २००२
४. बहुआयामी कलाकार - श्री के.के. पाटिल को २००३
५. भरथरी साधिका - श्रीमती सीमा कौशिक २००४
६. कलाकार कवि - श्री महेश वर्मा २००५
७. कालाकार गायक - श्री आर. दुर्योधन राव २००६
चंदूलाल चंद्राकर सम्मान (जीवन मूल्यों एवं गौरवशाली उपलब्धि के लिए) -
१. श्री राजनारायण मिश्र को २००२
२. संत कवि पवन दिवान को २००३
३. रावघाट के योद्धा श्री विनोद चावड़ा को २००६
अगासदिया द्वारा आयोजित मंचीय कार्यक्रम महोत्सव (गावों में) :-
१. ग्राम लिमतरा
२. ग्राम कंडरका
३. ग्राम आटेबंद
४. ग्राम परसदा
५. ग्राम कोलिहापुरी
६. ग्राम पथरी
७. भिलाई-३
८. ग्राम देवादा
विशेष : साहित्यकार श्री ज्ञानेन्द्र पति (बनारस), श्री नीलाभ (इलाहाबाद) स्व. प्रमोद वर्मा का ग्राम लिमतरा में सम्मान।
कला साधना हेतु अगासदिया मानपत्र :-
१. चनैनी दल, हरदी
२. कु. वंदना वर्मा, भिलाई
३. श्री गजाधर रजक, उतई
४. श्रीमती रजनी रजक, भिलाई
५. श्री विनायक अग्रवाल, भिलाई
६. डॉ. कीर्ति उमरे, दुर्ग
७. श्रीमती सीमा कौशिक, रायपुर
८. श्री शेर अली, कंडरका
९. श्री चैतराम, जामुल
१०. श्री उत्तम तिवारी, दुर्ग
११. श्रीमती उषा बारले
१२. श्रीमती अमृता बारले
१३. श्रीमती गीता बारले
मनीमाता सम्मान समर्पित सामाजिक कार्यकर्ता हेतु :-
सुरता मिनीमाता कार्यक्रम में सतनामी समाज के संत राखीवाले श्री डेरहादास खुटेल का सम्मान
श्रीमती अमृता बारले सम्मान
पत्रिका : अगासदिया (अब तक २६ अंक लगातार प्रकाशित) कुछ उल्लेखनीय विशेषांक:-
१) चन्दूलाल चंद्राकर अंक
२) डॉ. खूबचंद बघेल अंक
३) हरि ठाकुर अंक
४) गांधी विचार यात्रा पर केन्द्रित अंक
५) छत्तीसगढ़ के सपूत अंक
६) सारंगढ़ के सपूत अंक
७) मिनीमाता अंक
८) त्रिआयामी सिपाही अंक
९) कोदूराम दलित अंक
१०) संत पवन दीवान अंक
११) दाऊ महासिंह चंद्राकर अंक
१२) डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा अंक
१३) क्रांतिवीर कंगला मांझी अंक
१४) छत्तीसगढ़ी भाषा अंक
१५) रजत जयंती अंक (कोदूराम वर्मा पर केन्द्रित)।
पत्रिका काहे रे नलिनी तू मुम्हलानी के दस अंक प्रकाशित, कबीर अंक, छत्तीसगढ़ अस्मिता अंक, छत्तीसगढ़ी कविता अंक, छत्तीसगढ़ी लोककथा अंक, अपने लोग अंक आदि।
मूर्ति स्थापना :-
१. गोस्वामी तुलसीदास : अगासदिया परिसर, आमदीनगर
२. महात्मा गांधी : कोलिहापुरी ग्राम
३. चंदूलाल चंद्राकर : समाधि स्थल, कोलिहापुरी
विशिष्ट तैलचित्र - अगासदिया की भेट :-
(कलाकार - मूर्तिकार श्री जे.एम. नेलशन द्वारा सृजित)
१. भारतरत्न राजीव गांधी २. पदम्भूषण झाबरमल शर्मा
३. दाऊ वासुदेव चंद्राकर ४. श्री जमुना प्रसद कसार
विशिष्ट प्रकाशन
कुछ प्रेरक जीवनी
डॉ. खूबचंद बघेल : अगासदिया
मिनीमाता : महतारी मिनीमाता
झाड़ूराम देवांगन : बोल वृंदावन बिहारीलाल की जय
दुलार सिंह साव मंदराजी : मजा आगे संगी
श्री देवदास बंजारे : आरुग फूल
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पत्र एक
परमप्रिय परदेशी,
आपका पत्र मिला। एक जनवरी २००५ को मेरे जीवन के साठ वर्ष पूरे होने के अवसर पर एडवांस में बधाई मिली। मैं तो पहले भी आपके कई समारोहों में कह चुका हूं कि मेरा व्यक्तिगत कुछ भी नहीं है। सुख न दुख, हार न जीत, यौवन न जरा, यहां तक कि जीवन और मृत्यु भी।
ऐसे में साठवां वर्ष भी मेरा नहीं है। आपने इसे महत्व दिया है तो यह आपकी उदारता है। हम एक साथ मिलने के लिए अवसरों की ताक में रहते हैं। आपने इस अवसर को भी अहम बनाने के बारे में सोचा है, ऐसा आप ही सोच सकते थे। मुझ पर आपने जितना लिखा वह आपके छत्तीसगढ़ के प्रति प्रेम और श्रद्धा का ही प्रमाण है। जो छत्तीसगढ़ का हुआ, वह आपका हो गया।
साठवें वर्ष में आप मेरा कविताओं का एक सुदर्शन संकलन समारोह पूर्वक भेंट करना चाहते हैं यह जानकर उत्सुकता हो रही है कि वह तिथि कौन सी होगी ? बधाई एवं आभार।
इधर भागवत प्रवचनों का सिलसिला भी लगातार सुनिश्चित है। मिलकर तिथि तय करेंगे और मिल बैठकर बीत गए रचनात्मक दिनों और आने वाले सृजनात्मक पलों का लेखा-जोखा इसी बहाने कर सकेंगे।
मेरी कवितायें इधर उधर बिखरी हुई है। फिर भी आपने एकत्र कर पुस्तक रुप में संकलित करने का जो बीड़ा उठाया है वह कठिन दायित्व है। इसके पहले भी आपके द्वारा छोटी सी पुस्तिका जारी हुई थी। प्रकाशन एवं समारोह के लिए मेरी भी अग्रिम बधाई स्वीकारें।
पवन दीवान
2 अक्टूबर 2004
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Wednesday, November 28, 2007
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