Tuesday, April 8, 2008

सोनहा बिहान में मुकुंद कौशल के गीत (11)

शीर्षक गीत : मोर सोनहा बिहान

किरन - किरन के चरन पखारन

आरती उतारन, रे मोर सोनहा बिहान,

बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां

मोर बिहनिया तोला अगोरत, सइघो रात पहागे

छाती पोंठ करेन हम्मन ते, ठंड़का तैं अगुवागे

तोला परघाये बर आइन, जुरमिल सबो मितान

रे मोर सोनहा बिहान,

बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां

दाई - ददा लइका-सियान सब, तोरेच गुन ला गाहीं

ललहूँ - पिंउरा मिंझरा सूरूज, कोन तोला टोनहाही

निकरे हस तैं कान मां खोंचे, हरियर दौना पान

रे मोर सोनहा बिहान,

बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां

तोर आए ले आज सिरागे, जिनगी के अँधियारी

आज हमर बर मया-दया के, खुलगे गजब दुवारी

आज हो गयेन सकला संगी, जम्मो अपन-बिरान

रे मोर सोनहा बिहान,

बगराये अँजोर, छत्तीसगढ़ मां

000

लीम के डँगाली

लीम के डँगाली चघे हे करेला के नार

इतरावथे लबरा बादर, घेरी बेरी नाचै रे बीच बजार

ये मीठलबरा ,

ठगुवा कस पानी ठगत हे, मूड़ धरे बइठे किसान

ये बिधाता गा मोर कइसे चाबो परान

एक बछर नाँगर अऊ बइला ला बोर बोर,

ओरिया अऊ छान्ही ले, पानी गली खोर,

खपरा बीच बोहावै, ना ये भाई, खपरा बीच बोहावय

रद रद, रद रद रोंठ-रोंठ रेला मन,

बारी के सेमी बरबटटी करेला मन

लहुरटुहुर धाँयधुपुन जावय ना ये भाई लुहुरटुहुर धांयधुपुन जावय

ये हो भइया गा मोर, पूरा के बड़ नुकसान ।।

ये बिधाता गा मोर कइसे बचाबो परान ।।

लागे नौटप्पा कस, एसो के सावन में,

गोड़ जरै भोम्हरा कस, भादों के नहावन में,

दुब्बर बर दू असाढ़े, ना ये भाई दुब्बर बर दू असाढ़े

बीजहा भुँजावै रे खेत सुखावै रे

लइकन अऊ महतारी, जम्मो बोंबियावै रे

अँगरा मां ठाढ़े-ठाढ़े, ना ये भाई अँगरा मा ठाढ़े-ठाढ़े

ये हो भइया गा मोर, काबर रिसाए भगवान

ये बिधाता गा मोर कइसे बचाबो परान ।।

बिधि के बिधाने मां, परबस के माने मां,

धाने के पाने अऊ संझा बिहाने मां,

कीरा के पीरा समागे ना ये भाई, कीरा के पीरा समागे

साँस के समोना अऊ जिनगी के दोना में,

माहू के रोना अऊ बदरा के टोना में,

जम्मो किसानी नँदागे, ना ये भाई जम्मो किसानी नँदा गे

ये हो भइया गा मोर, पीरा हर होगे जवान

ये बिधाता गा मोर कइसे बचाबो परान ।।

000

धर ले कुदारी

धर ले रे कुदारी गा किसान

आज डिपरा ला रखन के डबरा पाट देबो रे

ऊंच-नीच के भेद ला मिटाएच्च बर परही

चलौ चली बड़े बड़े ओदराबोन खरही

झुरमिल गरीबहा मन, संगे मां हो के मगन

करपा के भारा-भारा बाँट लेबो रे

चल गा पंड़ित, चल गा साहू, चल गा दिल्लीवार

चल गा दाऊ, चलौ ठाकुर, चल गा कुम्हार

हरिजन मन घलो चलौ दाई - दीदी मन निकलौ

भेदभाव गड़िया के पाट देबो रे

जाँगर पेरइया हम हवन गा किसान

भोम्हरा अऊ भादों के हवन गा मितान

ये पइत पथराबन, हितवा ला अपन हमन

गाँव के सियानी बर छाँट लेबो रे

000

मोर भाखा

मोर भाखा सँग दया मया के सुग्घर हवै मिलाप रे

अइसन छत्तीसगढ़िया भाखा, कऊनो सँग झन नाप रे ।।

येमा छइहाँ बम्हलई देबी, बानबरद गोर्रइयाँ के

देंवता धामी राजिउलोचन सोमनाथ जस भुँइया के

ये मां हावे भोरमदेव जस, तीरथ के परताप रे

अइसन छत्तीसगढ़िया भाखा, कऊनो सँग झन नाप रे ।।

दमऊ खँजेरी तबला ढोलक नंगाड़ा दमकै येमां

हरमुनिया करतार तमूरा मंजीरा छमकै येमां

मोहरी के सुंदर अलाप येमां दफड़ा के थाप रे

अइसन छत्तीसगढ़िया भाखा, कऊनो सँग झन नाप रे ।।

करम-धरम के राग-पाग मां फींजे कथा कहानी हे

बोलत बेरा लगथे जइसे ये गीता के बानी हे

गुरतुर भाखा मां, गाना के, गूँजत रथे अलाप रे

अइसन छत्तीसगढ़िया भाखा कऊनो संग झन नाप रे ।।

000

तैं जाबे मैना

तैं जाबे मैना

उड़त उड़त तैंह जाबे

मैंह कइसे आवौं ना, मैंह कइसे आवौना,

बिन पाँरवी मोर सुवना कइसे आवौं ना

मन के मया संगी तोला का बताववं ना

तैंह जाबे मैना,

उड़त उड़त तैह जाबे ....

पुन्नी के रात मैना चंदा के अँजोर

जुगुर-जागर चमकत हे गाँव के गली खोर

सुरता आवत हे तोर अँचरा के छोर

तैंह जाबे मैना,

उड़त उड़त तैह जाबे ....

पुन्नी के अँजोर सुवा बैरी होगे ना

दूसर बैरी मोर पाँव के पैरी होगे ना

छन्नर-छन्नर पैरी बाजय कइसे आवौं ना

मन के मया संगी तोला का बताववं ना ....

लहर-लहर पुरवाही झूमर गावै गाना

झिंगुर आभा मारै मोला, कोइला मारै ताना

मया मां तोर मैं बिसरायेवं अपन अऊ बिराना

तैंह जाबे मैना,

उड़त उड़त तैह जाबे ....

भारत के बाग

महर-महर महकत हे, भारत के बाग

भुँइया महतारी के अमर हे सुहाग ।।

ममहाती पुरवहिया, झूमय लहरावय

डारा-डारा, पाना-पाना, मगन सरसरावय

पंड़की-परेवना मन, मन ला लुभावय

कोइली हर कुहकै नंदिया गाना गावय

मिट्ठु हर तपत कुरू बोलै अमरइया में -

कोकड़ा-मेचका जुरमिल गावत हें फाग

उठौ उठौ जँहुरिया अब रात पहागै

पंग पंग ले फेर नंवा बिहान असन लागै

जागे के दिन आगे रतिहा हर बीतिस

हारगे बिगारी अऊ बनिहारी जीतिस

धरती के बेटा मन जागिन हे भइया हो -

चमकिस अब भुँइया महतारी के भाग

000

जिनगी के रद्दा

जिनगी के रद्दा अड़बड़ लम्भा दू ठिन हमरे चरन

गोड़ ला कहाँ-कहाँ हमन धरन

चले पुरवहिया सनन सनन्

बिजहा रे डारेन नाँगर चलाएन

धाने के नेवता माँ बादर ला बलाएन

किंजर-किंजर के बरसौ रे बादर, तुंहरे पंइया परन

सावन भादों मां ठंऊका रे बरसिस पानी झनन झनन

चले पुरवहिया सनन सनन्

अगहन मां बड़े रे बिहनिया नहाएन

धाने लूएन करपा ला बाँधि के ले आएन

मन हर चिरई असन फुदकै अऊ नाचै भुँइया गगन

ब्यारा मां बइला मन दंऊरी फँदाए दंऊड़ै घनन घनन

चले पुरवहिया सनन सनन्

धाने ला बेचे बर जावत हवन मंडी

कऊनो ओढ़े कथरी ते कऊनो ओढ़े अंडी

कऊनो छाँड़य ददरिया ते कऊनो बपुरा गावथे भजन

गाड़ा के बइला के टोंटा के घन्टी बाजै टनन टनन्

चले पुरवहिया सनन सनन्

भइया के बिहाव माढ़िस खोजी खोजी

पुतरा असन भइया, पुतरी कस भऊजी

रात दिने भइया लुहुर-टुहुर भऊजी मुसकावै हो के मगन

भऊजी के सॉटी छम छम बोलै, चूरी बाजै खनन खनन्

चले पुरवहिया सनन सनन्

(सोनहा बिहान हेतु कवि मुकुन्‍द कौशल द्वारा लिखित)

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