Saturday, July 26, 2008

साक्षी समय के : वासुदेव चन्द्राकर

- भास्कर में प्रकाशित पूर्व साक्षात्कार –

जन्म तिथि : २६ मार्च १९२८, स्थान : रिसामा, वर्तमान पता : दुर्ग

दुर्ग जिले की राजनीति में चाणक्य माने जाने वाले दाऊ वासुदेव चन्द्राकर की राजनीतिक यात्रा १९४२ में प्रारंभ हुई। वे चन्द्राकर समाज के पहले ऐसे व्यक्ति हैं जिन्हें राजनीति में लंबी पारी और विशेष योगदान के कारण राजनीति क्षेत्र में अन्यतम प्रथम पुरुष का दर्जा प्राप्त् है। वे दुस्साहसिक निर्णय और संगठन क्षमता के लिए चर्चित हैं। फिल्मों के बेहद शौकीन दाऊ जी १९७५ तक हर फिल्म देखने का प्रयास करते थे। वे १९४२ में तीन बार भारत छोड़ो आंदोलन में शामिल होकर पकड़े और छोड़े गये। संपन्न कूर्मि परिवार में जन्मे दाऊ वासुदेव चन्द्राकर के अग्रज स्वर्गीय महासिंग चन्द्राकर लोककला सेवी के रुप में समाहित हुए। उनके परिवार में लोककला एवं राजनीति की समान सरगर्मी यथावत है। एक दशक पहले उनके बारे में यह कथन बहुचर्चित था कि बीड़ी का लंबा कश लेकर अगर वे किसी को तोला देख लुहूं कह बैठे तो समझना चाहिए कि सामने वाले का भट्ठा बैठ गया। लेकिन आज उम्र की इस दहलीज पर आक्रामकता त्याग कर समन्वय एवं मेल-मिलाप के हिमायती हो गये हैं। तब भी अवमानना और दबाव की राजनीति के कई बर्दाश्त नहीं करते।

# इस उम्र में भी आपकी चुस्ती का राज क्या है ?

वासुदेव चन्द्राकर : सिर्फ योग अभ्यास।

# आपकी दिनचर्या क्या है ?

वासुदेव चन्द्राकर : प्रात: तीन बजे उठना। योग और आर्थिक प्रवचनों का श्रवण। फिर थोड़ी सी चहलकदमी। १० बजे तक लोगों से भेंट, फिर राजनीति।

# खाने और पहनने में क्या पसंद है ?

वासुदेव चन्द्राकर : भोजन में दाल-भात, लौकी तुरई की सब्जी। जो सुपाच्य हो वह शाकाहार। पहनने में धोती-कुर्ता, टोपी।

# फुरसत के समय क्या करते हैं ?

वासुदेव चन्द्राकर : फुरसत तो मिलती नहीं। मिली तो आध्यात्मिक किताबें बांचता हूं। प्रवचन सुनता हूं।

# जीवन में कोई ऐसी घटना जिससे आप प्रभावित हुए ?

वासुदेव चन्द्राकर : आचार्य देव और स्वामी आत्मानंद से भेंट और बातचीत मैं भूल नहीं पाता। यही मेरे जीवन का ऐसा मोड़ है जिसने मुझे नये सिरे से सिरजाया।
# किस व्यक्ति से आप ज्यादा प्रभावित हैं ?

वासुदेव चन्द्राकर : स्वामी आत्मानंदजी से। दिव्य पुरुष थे। हमारा दुर्भाग्य कि वे हमें छोड़ गये। आज वह नरसिंह हमारे बीच होता तो छत्तीसगढ़ के स्वरुप और गौरव को आप देखते।
# कल और आज के भारत में क्या अंतर है ?

वासुदेव चन्द्राकर : कल दूसरों के लिए जीने वालों की बहुतायत थी आज अपने लिए जीने की बदहवासी में लोग पागल हो रहे हैं।

# आपकी नजर में देश की सबसे बड़ी समस्या क्या है ?

वासुदेव चन्द्राकर : गोटीबाजी। तात्कालिकता के लिए आग्रह। दूरदृष्टि का अभाव।
# प्रिय अभिनेता, अभिनेत्री, प्रिय फिल्म ?

वासुदेव चन्द्राकर : प्रिय फिल्म शोले। प्रिय अभिनेत्री मधुबाला, प्रिय अभिनेता दिलीपकुमार।

# आपको किस प्रकार के व्यक्ति अच्छे लगते हैं ?

वासुदेव चन्द्राकर : एक बोलिया। वचनबद्ध। साहसी लोग।
# किस बात से आपको डर लगता है ?

वासुदेव चन्द्राकर : कि कहीं गलत काम न कर बैठूं। अपयश का मौका न आ जाये।
# किस बात पर हंसी आती है, किस बात पर रोना आता है ?

वासुदेव चन्द्राकर : हंसी आती है, नई नई सींगों वाले छोटे छोटे बछड़ों को गोल्लर की तरह हुंकारते देखता हूं तब। और रोना आता है जब लोग छत्तीसगढ़ की अस्मिता के लिए कुर्बानी देने से बचना चाहते हैं। यह दृष्य देखकर।

# किस रुप में याद किया जाना पसंद करेंगे ?

वासुदेव चन्द्राकर : छत्तीसगढ़ के एक विनम्र सेवक के रुप में।

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