Saturday, July 26, 2008

छत्तीसगढ़ राजनीति के चाणक्य श्रद्धेय दाऊ वासुदेव चन्द्राकर के व्यक्तित्व पर अंचल के चर्चित हृदय रोग विशेषज्ञ डॉ. एम.पी. चन्द्राकर से बातचीत

साक्षात्कारकर्त्ता : डी.पी. देशमुख

# आम तौर पर वासुदेव चन्द्राकर जी को छत्तीसगढ़ राजनीति का चाणक्य कहा जाता है, आप किसी हद तक सहमत हैं ?

डॉ. चन्द्राकर : परिस्थितियों का पूर्वानुमान उसके अनुरुप ब्यूह रचना और फिर वांछित सफलता प्राप्त् करने में उन्हें महारथ हासिल है। प्रतिकूल परिस्थितियों को राजनैतिक व गैर राजनैतिक व्यक्तियों के सहयोग से अपने पक्ष में करने की उनमें अद्भुत क्षमता है। इसके अतिरिक्त अपने विरोधियां से भी समयानुसार सहयोग लेने की कला में वे पारंगत हैं। इन्हीं सब विशेषताओं के कारण उन्हें राजनीति का चाणक्य माना जाता है और सही सत्य है।

# परिवार के प्रति दाऊ जी की किस विशेषता से आप प्रभावित रहे?

डॉ. चन्द्राकर : परिवार के लोग उनसे अपने व्यक्तिगत या पारिवारिक समस्याओं के निराकरण के लिए बहुधा आते रहते हैं, उनकी बातों को ध्यान से सुनकर वे उचित परामर्श देते हैं। किसी भी दबाव में न आकर निष्पक्ष व न्यायोचित बातें करते हैं, इसीलिये परिवार में उन्हें सर्वोच्च सम्मान प्राप्त् है।

# छत्तीसगढ़ राज्य के लिये उनका योगदान ?

डॉ. चन्द्राकर : जब तक दाऊ जी चन्दूलाल चन्द्राकर जी जीवित थे, तब तक उन्होंने उनके सेनापति की भूमिका बखूबी निभाई, दाऊ जी की योजनाओं को क्रियान्वित करने में उन्होंने सदैव पूरी क्षमता से कार्य किया। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य के लिये दाऊ जी को निरन्तर तन-मन-धन से सहयोग करते रहें। उनकी मृत्यु के पश्चात कुछ समय के लिये वे खामोश रहे, लेकिन जब पृथक राज्य का मुद्दा कांग्रेस पार्टी का बन गया तब पूरी ताकत के साथ जनता के बीच जाकर पृथक छत्तीसगढ़ राज्य आन्दोलन का नेतृत्व किया और पृथक राज्य के अस्तित्व में आने तक संघर्ष करते का नेतृत्व किया और पृथक राज्य के अस्तित्व में आने तक संघर्ष करते रहे।

# दाऊ जी पर जातिवाद एवं परिवार वाद की राजनीति करने का आरोप लगता है, आप किस हद तक सहमत हैं ?

डॉ. चन्द्राकर : मैं नहीं मानता कि उन्होंने जातिवाद की राजनीति की है। परिवार से जिनका कहीं कोई संबंध नहीं है, ऐसे भी आज बहुत से व्यक्ति हैं जिन्हें दाऊ जी ने राजनीति के उच्च शिखर तक पहुंचाया। उन पर परिवार वाद का आरोप लगता रहा है, उनके कारणों से सभी परिचित है। मेरा केवल इतना ही कहना है कि उन्होंने परिवार के प्रतिभाओं को सामने लाने का प्रयत्न किया है, यह कोई अनुचित कार्य नहीं है। प्रतिभाओं के चयन में उनसे चूक हुई या नहीं इस पर मतभेद हो सकते हैं। हम मानव हैं व हम सभी में कुछ न कुछ मानवीय कमजोरी विद्यमान है, जिससे कोई भी अछूता नहीं है।

# छत्तीसगढ़ को उन्होंने महत्वपूर्ण नेता दिये, कइयों को मंत्री बनाया लेकिन स्वयं कभी मंत्री नहीं बने, इस पर आपकी प्रतिक्रिया ?

डॉ. चन्द्राकर : यह छत्तीसगढ़ का दुर्भाग्य है कि इतने अनुभवी, प्रतिभा सम्पन्न व जमीन से जुड़े हुए नेता को मंत्री पद प्राप्त् नहीं हो सका, कालचक्र कुछ ऐसा घूमा कि म.प्र. सरकार में दो बार जब उनका मंत्री पद सुरक्षित समझा जा रहा था वे महज कुछ वोटों से चुनाव हार गये। पृथक छत्तीसगढ़ राज्य बनने पर उन्हें किसी बड़े पद में देखने की अपेक्षा छत्तीसगढ़ वासियों को थी पर वह भी संभव नहीं हो सका। इस बात पर कही भी संशय नहीं है कि वे जमीन से जुड़े हुए छत्तीसगढ़ के चप्पे चप्पे से परिचित व जनता का समस्याओं से गहरी समझ रखने वाले एक अनुभवी, चतुर, अदभुत प्रतिभा सम्पन्न कुशल राजनीतिज्ञ हैं। ऐसे दुर्लभ राजनेता का सत्ता में नहीं रहना प्रदेश के लिये नि:संदेह दुर्भाग्य की बात है।

# राजनीतिक रुप से आप उनके कितने करीब रहे ?

डॉ. चन्द्राकर : राजनीतिक रुप से मैं उनके विशेष करीब नहीं रहा। सामान्य मुलाकातों में अन्य विषयों के साथ साथ राजनीतिक चर्चा होती रही है। और मैं महसूस करता हूं कि उन्होंने मेरी राजनीतिक सोच को कभी अहमियत हीं दी, उन्हें अगर कभी लगा कि कहीं पर मेरी उपयोगिता हो सकती हे, तो उन्होंने जो कहां उसे मैंने आदेश मानकर निष्ठापूर्वक पूरा करने का प्रयत्न किया है।

# दाऊ जी के परिवार से उनकी पुत्री के अलावा कोई भी सक्रिय राजनीति में नहीं है, चूंकि आप भी इस परिवार से ताल्लुक रखते हैं, राजनीति में आने का अवसर मिला तो पसंद करेंगे ?

डॉ. चन्द्राकर : जैसे कि मैं अभी कहा है कि राजनीतिक रुप से मैं उनके विशेष करीब नहीं रहा, उन्होंने मुझे राजनीति में आने के लिये कभी भी प्रेरित नहीं किया। मैं यह मानता हूं कि सफल राजनीतिज्ञ में जो विशेषताएं किसी व्यक्ति में होनी चाहिए उसका मुझ में अभाव ही इसका सबब हो सकता है। जहां तक भविष्य में राजनीति में आने का सवाल है वह अब संभव नहीं लगता। आज मेरी पहली प्राथमिकता चन्दूलाल चन्द्राकर मेमोरियल हास्पिटल है, मैं पूरी क्षमता और लगन से इसे वांछित स्तर पर स्थापित करने के लिये प्रयत्नशील हूं, इसमें कहां तक सफलता मिलेगी, यह अभी भविष्य के गर्भ में हैं। एक बार मैंने राजनीति में आने का प्रयास जरुर किया था, पर वह सफल नहीं हुआ। साथ ही कटु अनुभव भी हुए और आज मैं स्वयं भी यह मानने लगा हूं कि मेरी व्यक्तित्व राजनीति के अनुरुप नहीं है।

# चन्दूलाल चन्द्राकर मेमोरियल हास्पिटल में दाऊ जी का क्या सहयोग रहा है ?

डॉ. चन्द्राकर : चन्दूलाल चन्द्राकर मेमोरियल हास्पिटल के निर्माण में दाऊ जी का आशीर्वाद व आने वाली कठिनाईयों के निराकरण में सहयोग व मार्गदर्शन हमें हमेशा ही मिलता रहा है। भूमि पूजन व अस्पताल शुभारंभ समारोह में म.प्र. के मुख्यमंत्री श्री दिग्विजय सिंह जी को व अभी हाल में स्व. श्री चन्दूलाल जी की प्रतिमा अनावरण समारोह में छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री श्री अजीत जोगी जी को मुख्य अतिथि के रुप में सम्मानित करने का जो सौभाग्य संस्था को मिला इसका श्रेय पूर्ण रुप से दाऊजी को जाता है। दाऊ जी इस अस्पताल के प्रस्तावित वृहद रुप से चिन्तित थे। वे चाहते थे कि हम अस्पताल को पहले छोटे रुप में प्रारंभ करें फिर क्रमश: धीरे-धीरे इसका विकास करें। अब जब अस्पताल अपने पूर्ण स्वरुप में सुचारु रुप से चल रहा है, तो उनकी चिंता दूर हो गई है और अब वे प्रसन्न हैं। उनकी चिंता का मुख्य कारण मेरे विचार में हमें आर्थिक कठिनाई से बचाना था।

# छत्तीसगढ़ को दाऊ जी से भविष्य की अपेक्षाएं ?

डॉ. चन्द्राकर : छत्तीसगढ़ को दाऊ जी से कुछ ज्यादा ही अपेक्षाएं हैं। उन्होंने जिन सपनों को देखा था उन्हें पूर्ण रुप से साकार न होते देख उनका मन व्यथित है। आज सम्पूर्ण भारत में क्षेत्रीय पार्टियों का महत्व बढ़ता जा रहा है। छत्तीसगढ़ के जो लोग दाऊ जी की वर्तमान स्थिति से असन्तुष्ट हैं, उनमें से बहुतों का मानना है कि उनके नेतृत्व में छत्तीसगढ़ में एक क्षेत्रीय दल का भविष्य उज्जवल रहेगा। पर चंूकि दाऊ जी कांग्रेस के अभूतपूर्व संकट में समय भी पार्टी नहीं छोड़े तो अलग पार्टी बनाने की बात संभव नहीं लगती।

# आपने उनके व्यक्तित्व से क्या सीखा ?

डॉ. चन्द्राकर : परिस्थितियां चाहे कितनी भी विकट क्यों न हो उनमें जूझना व सफलता प्राप्त् करना उनकी आदत में शुमार हो गई है। जब सन् १९९२ में दाऊ श्री चन्दूलाल चन्द्राकर को लोकसभा दुर्ग की टिकिट नहीं मिली, उस समय बिना समय गंवाये तुरन्त दिल्ली जाकर राजीव गांधी जी से मिले एवं उनका विश्वास अर्जित कर लोकसभा की टिकिट ले आये यह उनकी इसी प्रतिभा का परिचायक है। शायद ही कोई दूसरा व्यक्ति यह कर पाता। उनके इसी जूझारुपन व दृढ़ इच्छाशक्ति से मैं बेहद प्रभावित हूं और उसे अपने कार्यक्षेत्र में अमल करने का प्रयत्न करता हूं।

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