साक्षात्कारकर्त्ता- आचार्य महेशचन्द्र शर्मा
दुर्ग लोकसभा क्षेत्र के यशस्वी सांसद माननीय श्री ताराचन्द जी साहू एक शालीन व सुसंस्कृत व्यक्तित्व हैं। शिक्षकीय सेवा कार्य से उनके सार्वजनिक जीवन का श्री गणेश हुआ है। जब हमने दाऊ वासुदेव जी चन्द्राकर के अमृत महोत्सव के संदर्भ में उनका साक्षात्कार लिया तो बड़े ही सद्भावनापूर्ण ढंग से उन्होंने चर्चा की। अपनी राजनैतिक प्रतिबद्धता के लिय सुविख्यात श्री साहू जी आपसी संबंधों में कड़वाहट के सदैव विरोधी रहे हैं - महेशचन्द्र शर्मा।
# दाऊ वासुदेव जी चन्द्राकर की राजनीति का आप छुटपन से देख रहे हैं। कृपया उनकी लम्बी पारी का रहस्य बतायें ?
ताराचंद साहू : दाऊजी को राजनीति विरासत में मिली है। राजनीति उनके लिये कोई नई बात नहीं है। मैंने तो उनके पूज्य पिता जी को भी देखा हे। वे वृद्धावस्था तक राजनीति में रहे। मजबूत विरोधपक्ष की राजनीति भी उनकी पारिवारिक पृष्ठभूमि में रही है। उनके पिता शोशलिस्ट पार्टी के थे।
# पद पर न रहते हुए भी दाऊ जी सदैव केन्द्र में कैसे बने रहते हैं?
ताराचंद साहू : लम्बे समय से जुड़े रहने से जुड़े रहने से उन्होंने अपने लोग बनाये। उनके अनेक लोग वर्तमान तथा पूर्व विधायक भी हैं। समय समय पर वे समसामयिक विषयों पर अपनी प्रतिक्रिया भी व्यक्त करते रहते हैं। वे निष्क्रिय कभी नहीं रहे। यही कारण है कि वे महत्वपूर्ण बने रहते हें। राजनीति में उन्हें नकारा नहीं जायेगा। सतत् सक्रियता साहस और भविष्य की पहचान उनमें अद्भुत है।
# छत्तीसगढ़ी और किसानी के संदर्भ में दाऊ जी पार्टी के ऊपर उठ जाते हैं, आपकी राय ?
ताराचंद साहू : निश्चित तौर पर वे कुछ सिद्धांतों से प्रतिबद्ध हैं। वे ओ.बी.सी. को बिलांग करते हैं। इस वर्ग के हक के लिये समय समय पर बात उठाते रहते हैं। और मूलत: वे किसान है, अत: उनके हित की वे बात करते हैं। पार्टी लीक से हटकर भी वे इन हकों के लिये लड़ते हैं।
# दाऊजी के परिवार ने कला, राजनीति तथा चिकित्सा आदि के क्षेत्र में योगदान दिया, परिवार के इस प्रकार के योगदान पर आपके विचार ?
ताराचंद साहू : नि:संदेह, दाऊ महासिंह जी चन्द्राकर को नहीं भुलाया जा सकता। कला के क्षेत्र में उनकी रंगमंचीय संस्था सोनहा बिहान अविस्मरणीय है। चन्दैनी गोंदा के सर्जक दाऊ रामचन्द्र देशमुख से उनके पारिवारिक संबंध थे। उनके पुत्र आदि भी कला के क्षेत्र में कार्य कर रहे हैं। चिकित्सा के क्षेत्र में स्व. चन्दूलाल चन्द्राकर स्मृति चिकित्सालय तथा डॉ. मंगल प्रसाद चन्द्राकर हैं ही। किन्तु मेरा यह भी कहना है कि इस चिकित्सा केन्द्र में गरीबों की नि:शुल्क चिकित्सा हेतु भी कुछ कोटा तय किया जाना चाहिये तभी इसकी सार्थकता है।
# ७५ वर्ष के दाऊ जी पर आपकी राय ?
ताराचंद साहू : अभी भी राजनीति में दाऊ जी की गहरी पैठ है। वे राजनीतिक शतरंज के अच्छे खिलाड़ी हैं। मेरी शुभकामनायें हैं। ईश्वर उन्हें शतायु, सहस्त्रायु करें।
# आपके साथ उनका आशीर्वाद रहा। आज जीते तो उन्होंने आशीष दिया। ये आपकी व्यक्तित्वगत विशेषता है, छत्तीसगढ़ की बुजुर्गीयत परम्परा है अथवा राजनीति ?
ताराचंद साहू : अब मैं अपनी व्यक्तिगत विशेषताओं के विषय में खुद ही कुछ कहूं, ये तो ठीक नहीं। इनका मूल्यांकन तो आप बुद्धिजीवियों, साहित्यकारों और क्षेत्र की जनता को करना है और वो हो रहा है। मैं तो हमेशा इस पक्ष का रहा हूं कि आपसी संबंधों और सद्भाव में कोई कड़वाहट नहीं रहना चाहिये। मैंने हमेशा ही इसका ख्याल रखा है। दाऊ जी के साथ मुझे अन्यान्य वरिष्ठों का भी आशीर्वाद मिलता रहा है। बुजुर्गोंा की तो शोभा ही है आशीर्वाद देना, छोटों का वह अधिकार भी है –
अभिवादनशीलस्य नित्यं वृद्धोपसेविन:।
चत्वारि तस्य वर्धन्ते आयुर्विद्या यशो बलम्।।
जहां तक सिद्धांत या विचारधारा की बात है, उस पर हम अटल हैं।
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Saturday, July 26, 2008
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