Wednesday, November 28, 2007

आयोजन

डॉ. परदेशीराम वर्मा की षष्ठिपूर्ति संपन्न

साहित्यकारों के योगदान पर संगोष्ठी

१८ जुलाई २००७ को साक्षरता समिति दुर्ग ने किया सम्मान

१८ जुलाई २००७ को साक्षरता सभागार में साक्षरता समिति दुर्ग द्वारा आयोजित समारोह दो सत्रों में हुआ। प्रथम सत्र में वैचारिक संगोष्ठी हुई। संगोष्ठी का विषय था साक्षरता अभियान में साहित्यकारों की भूमिका। इस सत्र में श्री मुकुन्द कौशल एवं श्री अभयराम तिवारी का वक्तव्य हुआ।

द्वितीय सत्र साक्षरता सेवी साहित्यकार डॉ. परदेशीराम वर्मा की षष्ठिपूति पर था। १८ जुलाई २००७ को अपने सक्रिय जीवन के ६० वर्ष पूर्ण करने वाले डॉ. परदेशीराम वर्मा के योगदान पर चर्चा करते हुए साक्षरता समिति की निर्देशिका श्रीमती रजनी नेलसन ने कहा कि विगत १७ वर्षो से साहित्यकारों का सतत योगदान साक्षरता समिति दुर्ग को मिल रहा है। डॉ. परदेशीराम वर्मा स्थापना के दिनों से ही सक्रिय है। उन्होंने भिलाई नगर परियोजना संयोजक के रुप में कार्य किया। उनके कार्यकाल में भिलाई नगर में साक्षरता का कीर्तिमान बना। पद्मभूषण तीजन बाई एवं कु. रितु वर्मा को अक्षर बांचने में सफलता मिली। साक्षरता अभियान में कार्य करते हुए उन्होंने पांच किताबों का लेखन भी किया। इन किताबों में नेशनल बुक ट्रस्ट द्वारा प्रकाशित मिनीमाता किताब भी है जिसे ख्याति मिली। इस किताब का दूसरा संस्करण भी आ गया है। दाऊ वासुदेव चंद्राकर ने डॉ. परदेशीराम वर्मा को सम्मानित किया।

मुख्य अतिथि संत कवि पवन दीवान ने कहा कि डॉ. परदेशीराम वर्मा विलक्षण साहित्यकार है। कठोर परिश्रम, सतत संघर्ष और गहन अध्ययन ने उनके लेखन को चमक दी है। छत्तीसगढ़ी भाषा, संस्कृति एवं समाज के लिए उन्होंने जो काम किया है वह अनुकरणीय है। वे मेरे अत्यंत प्रिय लेखक है। डॉ. परदेशीराम वर्मा की सफलता से समकालीन साहित्यकारों को भी लेखन में सक्रिय रहने की प्रेरणा मिलती है। मुझे विश्वास है, आने वाले दिनों में डॉ. परदेशीराम वर्मा छत्तीसगढ़ के लिए बड़ा काम करते हुए और अधिक महत्व, सम्मान और स्नेह प्राप्त् करेंगे। इनके जैसे सक्रिय और सक्षम व्यक्ति को बड़ी जिम्मेदारी मिलनी चाहिए। प्रदेश और देश के हित में व्यक्ति की योग्यता का भरपूर उपयोग होना चाहिए। दलित, पिछड़ा, वनवासी और सभी समाज की गहन जानकारी डॉ. परदेशीराम वर्मा को है। वे छत्तीसगढ़ का गौरव बढ़ाते हुए ही लेखन करते हैं। उनके मन में छत्तीसगढ़ के प्रति जो प्रेम है वही उन्हें लगातार आगे बढ़ा रहा है।

कार्यक्रम में पधारी राजमाता फुलवादेवी ने कहा कि आदिवासी समाज के लिए जितना प्रभावशाली लेखन डॉ. परदेशीराम वर्मा ने किया है वह प्रशंसनीय है। उनके लेखन में पीड़ित शोषित लोगों के लिए लड़ने का संदेश है। छत्तीसगढ़ में वे इस दृष्टि से अकेले बड़े लेखक हैं। उनका लेखन और अधिक सम्मान के योग्य है।

राजनांदगांव से पधारे डॉ. नरेशकुमार वर्मा ने डॉ. परदेशीराम वर्मा के कृतित्व पर प्रकाश डाला। श्री गजेन्द्र झा ने कहा कि अपने दम पर विपरीत परिस्थितियों के बावजूद कोई कैसे राह बना लेता है यह हम देखते हैं डॉ. परदेशीराम वर्मा के जीवन की सफलता में। वे मजबूत इरादों के व्यक्ति हैं। कम लोग होते हैं जो जीवन में सिद्धांतों से समझौता नहीं करते। गरीब, शोशित लोगों के लिए लिखने वाले वर्मा जी जीवन भर उसी लड़ाई को लड़ते हुए आगे बढ़ रहे हैं। वे प्रलोभन और भय से मुक्त है।
डॉ. नलिनी श्रीवास्तव ने कहा कि लगातार लिखने वाले डॉ. परदेशीराम वर्मा प्रेरक व्यक्ति हें। हर हाल में निरंतर लिखना बड़े होने के लिए जरुरी हैए। यह शर्त वे बखूबी पूरी करती है।

प्रख्यात मूर्तिकार जे.एम. नेलसन ने कहा कि गुणी लोगों पर आगे बढ़कर डॉ. परदेशीराम वर्मा लेखन करते हैं। वे सबका हित देखते हैं इसीलिए ईश्वर ने उन्हें बड़ी दुर्घटना में भी गोद में उठाकर बचा लिया। हितैषी व्यक्ति सदा मान पाता है। प्रसिद्ध व्यंग्यकार और डॉ. परदेशीराम वर्मा के अनन्य मित्र रवि श्रीवास्तव ने कहा कि डॉ. परदेशीराम वर्मा जितने प्रभावशाली लेखक हैं उससे बड़े संस्मरण - कहानी प्रस्तुत करने वाले कलाकार भी हैं। उन्हें जिन्होंने सुना है वे ही इस सुख का अनुभव कर सकते हैं। प्रख्यात पंथी नर्तक अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के कलाकार देवदास बंजारे पर उनकी किताब आरुग फूल चर्चित पुरस्कृत है। देवदास बंजारे के अछूते जीवन प्रसंग पर वे और बड़ी किताब लिख सकते हैं। डॉ. परदेशीराम वर्मा को बाबूजी स्व. मायाराम सुरजन, कमलेश्वर, संत पवन दीवान जैसे सिद्ध और साधक लोगों का स्नेह मिला। वे मित्रों के मित्र तो हैं ही, शत्रुओं के भी मित्र है। जिन्होंने उन्हें सदा अपेक्षित और तिरस्कृत किया उन्हें भी वे आदर देते हैं। यह एक विकट साधना है। मैं इसे अघोर साधना कहता हूं। लक्ष्मण चंद्राकर ने कहा कि छत्तीसगढ़ के सम्मान के लिए लड़ने के कारण डॉ. परदेशीराम वर्मा बड़े बने।
कवि श्री बसंत देशमुख ने कहा कि स्व. प्रमोद वर्मा, डॉ. परदेशीराम वर्मा को गंभीर और महत्वपूर्ण लेखक मानकर उनकी प्रशंसा करते थे। साथ ही हम सभी साथियों को कहते थे कि तुम लोग पार्ट टाइम लेखक हो, डॉ. वर्मा साहित्य का होल टाइमर है। वह दो हाथ से नहीं, चार हाथ से लिखता है फिर भी उसके पास अनुभव की वह पूंजी है जो कभी खत्म नहीं होगी।
षष्ठिपूति के अवसर पर साक्षरता समिति ने डॉ. परदेशीराम वर्मा का सम्मान किया। प्रख्यात मूर्तिकार जे.एम. नेलसन ने पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की आवक्ष प्रतिमा भेंट किया, साथ ही एक मोबाईल भेंट करते हुए कहा कि डॉ. परदेशीराम वर्मा बहुत गतिशील हैं इसलिए मोबाईल उपयुक्त उपहार है।

इस अवसर पर नारायण चंद्राकर, कुंभदेव कांगे, राजमाता फुलवादेवी, हेमंत देवांगन, विनोद चावड़ा, मोहन गुप्त, खड़ानंद वर्मा, कौशल, डॉ. डी.के. मंडरीक एवं तेज बहादुर बंछोर ने आत्मीय सम्मान किया। संचालन सुनील मिश्रा ने किया एवं आभार रत्ननारम देव ने व्यक्त किया। इस आत्मीय सम्मान के अवसर पर डॉ. निर्वाण तिवारी ने काव्य पाठ कर डॉ. परदेशीराम वर्मा का सम्मान किया।

श्री बिसंभर यादव मरहा, नीलेश चौबे, प्रभा सारस, वासुदेव चौधरी, संतोष वर्मा, श्रीमती स्मिता वर्मा, श्रीमती हेमवती वर्मा दाई, शेष नारायण शर्मा, बसंत शर्मा, डॉ. आर.एस. बारले, साहित्यकार एम.एस. मौर्य सहित बड़ी संख्या में आत्मीय जन उपस्थित थे।

सुश्री खुशबू वर्मा ने संत पवन दीवान रचित गीत मइहर की शारदा भवानी का सस्वर पाठ किया। पख्यात पंडवानी गायिका श्रीमती उषा बारले ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. परदेशीराम वर्मा ने कलाकारों को आगे बढ़ाने के लिए जो प्रयास किया है वह वंदनीय है। वे लोककला एवं लोकमंच के मर्मज्ञ हैं। मिनीमाता पर लिखित किताब तथा देवदास बंजारे पर लिखित किताब से ही वे अमर हो गए। श्रीमती उषा बारले ने इस अवसर पर गायन प्रस्तुत कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया।

- नारायण चंद्राकर


लिमतरा के सियान श्री तेजराम मढ़रिया को सम्मान

अगासदिया के भिन्न रंगी आयोजनों की श्रृंखला में १२ नवंबर २००६ को ग्राम लिमतरा में सियान का सम्मान कार्यक्रम संपन्न हुआ। इस कार्यक्रम में ९५ वर्षीय बुजुर्ग कवि बाबा तेजराम मढ़दिया सम्मानित हुए।

इस अवसर पर मुख्य अतिथि श्री भूपेश बघेल ने कहा कि बाबा तेजराम मढ़रिया एवं उनकी संगिनी श्रीमती सुशीला मढ़रिया की पीढ़ी ने छत्तीसगढ़ के स्वाभिमान के लिए सतत संघर्ष किया। साहित्यकारों की शक्ति से छत्तीसगढ़ राज्य का सपना पूरा हुआ। लेकिन हम अपने ऐसे बुजुर्गोंा को छत्तीसगढ़ी भाषा की स्वीकृति का उपहार दें यही हमारी सच्ची कृतज्ञता होगी। बुजुर्गोंा ने हमें छत्तीसगढ़ राज्य दिया, हम छत्तीसगढ़ी भाषा की लड़ाई जीतें यही हमारा कर्त्तव्य है। अध्यक्ष श्री लाभचंद बाफना ने अगासदिया के ऐसे अनोखे आयोजन के लिए बधाई देते हुए कहा कि हम अपनी जड़ों को सींच रहे हैं। बुजुर्गों का आशीर्वाद पाकर ही हम सही राह पर कदम बढ़ाकर मंजिल तक जा पायेंगे। छत्तीसगढ़ समता ममता की धरती हे। धमधा क्षेत्र का गांव लिमतरा साहित्य एवं संस्कृति की विशेष उपलब्धि के लिए चर्चित एवं वंदित है। जो सबको सम्मान देता है वह सबसे सम्मानित होता है। छत्तीसगढ़ ने सबका सम्मान किया है। संस्कारों की यह धरती है।

विशेष अतिथि श्रीमती ममता शर्मा ने परंपरा को पोषित कर बुजुर्गों से आशीष लेने वालों को बधाई देते हुए कहा कि - दुर्लभता अगासदिया की पहचान है।

छत्तीसगढ़ के इस अनोखे गांव लिमतरा ने एक से बढ़कर एक साहित्यकार दिये और आगे भी यह परंपरा जारी रहेगी। उन्होंने दो प्रभावी कविताओं का पाठ कर श्रोताओं को मंत्र मुग्ध कर दिया। इस अवसर पर संत कवि पवन दीवान ने विशिष्ट प्रवचन देकर क्षेत्र के प्रेमी श्रोताओं को भाषा एवं संस्कृति की बारीक विशेषताओं के बारे में बताया। उन्होंने कहा कि - प्रदेश माता कौशल्या का मायका है। छत्तीसगढ़ी माता कौशल्या की भाषा है। श्रीराम छत्तीसगढ़ी में बोलते थे। वे दस वर्ष छत्तीसगढ़ में वनवास के समय रहे। यह उनका ननिहाल है। छत्तीसगढ़ी भाषा बनेगी तभी सही छत्तीसगढ़ बनेगा। हमें हर पल छत्तीसगढ़ी के लिए काम करना है। लिमतरा के यशस्वी साहित्यकार भाषा एवं संस्कृति के सम्मान की लड़ाई लड़ रहे हैं। इतिहास में लिमतरा का नाम सदा के लिए अमर रहेगा। उन्होंने अपनी प्रसिद्ध कविताओं का पाठ किया। रात ९ बजे तक श्रोता प्रवचन सुनते रहे।
कार्यक्रम के संयोजन में सहयोगी मढ़दिया परिवार की ओर से बाबा के बड़े पुत्र हरिनारायण, पुत्रवधु राधा, भेषज मढ़रिया - रमा मढ़रिया, तिलक रंजना मढ़रिया एवं रज्जू ने सम्मान किया।

छत्तीसगढ़ मनवा समाज के केन्द्रीय अध्यक्ष श्री मन्नू लाल परगनिया, छत्तीसगढ़ी कुर्मि समाज भिलाई के अध्यक्ष श्री जीवनलाल वर्मा, पद्मश्री पूनाराम निषाद, प्रसिद्ध मूर्तिकार जे.एम. नेलसन, प्रसिद्ध हड्डी रोग विशेषज्ञ डॉ. अरुण मढ़रिया, कलाकार एवं धनुर्धर कोदूराम वर्मा, अंकटराम मढ़रिया, दल्लूराम बन्छोर द्वारा सम्मानित दंपत्ति का वस्त्र एवं श्रीफल देकर सम्मान किया गया। लिमतरा की सरपंच श्रीमती निर्मला देवांगन तथा जनपद पंचायत सदस्य श्रीमती सरस्वती वर्मा ने सम्मान किया।

इस अवसर पर दुर्योधन राव, प्रसिद्ध कवि बिसंभर यादव मरहा, नारायण वर्मा, हेमंत मढ़रिया, मुदलियार ने काव्यपाठ किया। श्री एन.के. तिवारी, जनपद अध्यक्ष धमधा एवं प्रसिद्ध प्रबंध निदेशक पर्यावरणविद श्री गोविन्द झा विशेष आतिथि थे। भारत भवन से जुड़े कलाकार श्री शेरअली ने विशिष्ट गीत प्रस्तुत किया। छत्तीसगढ़ के संत बालक भगवान ने सम्मानित व्यक्तियों को आशीष दिया। प्रसिद्ध छायाकार श्री संतोष वर्मा ने कलाकारों की ओर से सम्मान किया। इस कार्यक्रम का संचालन श्री महेश वर्मा एवं नारायण चंद्राकर ने किया। आभार प्रदर्शन शिक्षाविद श्रीमती रमा मढ़रिया ने किया।

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डॉ. खूबचंद बघेल अगासदिया सम्मान ०७ श्री कोदूराम वर्मा को प्रदत्त

प्रतिष्ठापूर्ण आयोजन में अगासदिया रजत जयंती अंक का विमोचन

डॉ. खूबचंद बघेल अगासदिया सम्मान-०७ का आयोजन भिलाई नगर के कुर्मि भवन में सम्पन्न हुआ। इस भव्य समारोह के मुख्य अतिथि परिवहन मंत्री श्री हेमचंद यादव ने कहा कि कबीर ने कहा है कि - जब तू आया जगत में, जग हंसे तू रोय, ऐसी करनी कर चलो, आप हंसो जग रोये। ऐसी करनी करने वाले महापुरुष डॉ. खूबचंद बघेल थे। हम उनके जाने के बाद लगातार उन्हें याद करते हैं। उनसे बल मांगते हैं। रास्ते की पहचान के लिए उनसे रोशनी मांगते हैं। अगासदिया ने महापुरुषों पर केन्द्रित कार्यक्रम का बीड़ा उठाकर बड़ी जिम्मेदारी का काम किया है। हम अपनी जड़ों को पहचानेंगे तभी हमें सही भविष्य मिलेगा। यह पहचान महापुरुषों को याद करने से मिलती है। श्री हेमचंद यादव ने प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले डॉ. खूबचंद बघेल कार्यक्रम के लिए तीन लाख रुपये का अनुदान घोषित किया। छत्तीसगढ़ी कुर्मि क्षत्रिय समाज, मनवा कुर्मि क्षत्रिय समाज एवं अगासदिया के अध्यक्ष ट्रस्टी होंगे। प्रतिवर्ष इस राशि से प्राप्त् ब्याज से डॉ. बघेल अगासदिया सम्मान समारोह का आयोजन होगा।

कार्यक्रम में विशेष अतिथि के रुप में पधारे श्री भूपेश बघेल ने कहा कि हिम्मत से सच कहने पर कुछ लोग बुरा मानते हैं लेकिन अधिकांश लोग ईमानदारी और साहस के लिए पूरा समर्थन एवं सम्मान देते हैं। डॉ. खूबचंद बघेल ने स्वाभिमान से जीने के लिए हिम्मत का पाठ पढ़ाया। हम भाषा और संस्कृति के लिए उन्हीं के सपनों के अनुरुप काम कर रहे हैं। इसमें सबका सहयोग मिल रहा है। सबके सहयोग से ही अगासदिया प्रकाशमान है। दाऊ वासुदेव चंद्राकर ने कहा कि विपरीत स्थिति में भी साहस न खोने का मंत्र डॉ. खूबचंद बघेल से सही मायनों में डॉ. परदेशीराम वर्मा ने पाया है। यही सच्ची साधना है। यह सीखने योग्य गुण है।

चिंतक एवं पत्रकार श्री रमेश नैयर ने कहा कि हिन्दी की सहोदरा है छत्तीसगढ़ी। छत्तीसगढ़ी एक समृद्ध भाषा है। इसकी क्षमता प्रमाणित है। इस भाषा का मान होगा तभी छत्तीसगढ़ का सम्मान बढ़ेगा। डॉ. खूबचंद बघेल के सिद्धांत सरल हैं मगर उनका निर्वाह कठिन है। जो इस कठिन साधना को समझेगा वह अपना और छत्तीसगढ़ का भला करेगा, देश का भी हित करेगा। बड़ी व्यापक सोच रही है डॉ. खूबचंद बघेल की।

संत कवि पवन दीवान ने कहा कि छत्तीसगढ़ी छत्तीसगढ़ की आत्मा है। संस्कृति और साहित्य की ताकत से ही छत्तीसगढ़ राज्य बना है। देश का यह विशिष्ट राज्य अपनी भाषा एवं संस्कृति के लिए जाना जायेगा। शांति एवं सहयोग की धरती है छत्तीसगढ़। औरों को अन्य उपलब्धि पर होगा गर्व, हमें गौरव है कि भगवान श्रीराम की माता कौशल्या छत्तीसगढ़ की बेटी है। छत्तीसगढ़ का उपकार सर्व विदित है। उसकी महिमा अपार है। छत्तीसगढ़ में वोट मांगने वाले छत्तीसगढ़ी के पक्ष में ईमानदार पहल कर इसका ऋण चुकाये और अपना मान भी बढ़ायें। इस अवसर पर दीवान जीने लगातार प्रभावी कविताओं का पाठ किया।
धनुर्धर कोदूराम वर्मा जो प्रसिद्ध कलाकार एवं समाजसेवी हैं उनको डॉ. खूबचंद बघेल अगासदिया सम्मान-०७ प्रदान किया गया। भव्य स्मृति चिन्ह एवं मानपत्र देकर उन्हें सम्मानित किया गया। सम्मान के अवसर पर कोदूराम वर्मा ने खंजरी पर भजन गाकर दर्शकों का मनमोह लिया।

अगासदिया के रजत जयंती अंक को कोदूराम वर्मा पर केन्द्रित किया गया। इसका विमोचन हुआ। डॉ. खूबचंद बघेल व्यक्ति और विचार, यह किताब छकर आ गई है। डॉ. परदेशीराम वर्मा लिखित इस पुस्तक का प्रकाशन छत्तीसगढ़ शासन हिन्दी गं्रथ अकादमी ने किया है। इस उदार एवं प्रेरक पहल के लिए हिन्दी ग्रंथ अकादमी के विद्वान संचालक श्री रमेश नैयर का सम्मान किया गया। नेलसन कलागृह की ओर से अंतर्राष्ट्रीय ख्याति के मूर्तिकार जे.एम. नेलसन ने पदुमलाल पुन्नालाल बख्शी की आवक्ष मूर्ति देकर एवं शाल श्रीफल भेंट कर नैयर जी का सम्मान किया।

श्री हेमचंद यादव एवं श्री पवन दीवान का सम्मान छत्तीसगढ़ी कूर्मि क्षत्रिय समाज भिलाई नगर एवं मनवा कुर्मि क्षत्रिय समाज भिलाई नगर के अध्यक्ष द्वय श्री गिरवर आडिल एवं श्री मदन कश्यप ने किया। कार्यक्रम का संचालन करते हुए अगासदिया के अध्यक्ष डॉ. परदेशीराम वर्मा ने कोदूराम वर्मा का परिचय दिया। उन्होंने बताया कि कोदूराम वर्मा अत्यंत समृद्ध आधुनिक कृषक एवं समाजसेवी कलाकार है। विगत सत्तर वर्षों से वे लोकमंच पर सक्रिय है। ८३ वर्ष की उम्र में भी वे करमा नृत्य में जब थिरकते हैं तो जवानों की हिम्मत पस्त होने लगती है। चिरयुवा कोदूराम वर्मा के साथ उनकी धर्मपत्नी का सम्मान भी किया गया। कोदूराम वर्मा के बड़े पुत्र श्री सालिकराम वर्मा, संयुक्त संचालक, कृषि छत्तीसगढ़ शासन एवं दुर्ग जिला के पूर्व आयुर्वेद अधिकारी डॉ. डी.के. मंडरीक सम्मान के अवसर पर मंच पर आमंत्रित किए गये। इस अवसर पर प्रसिद्ध पंडवानी गायिका श्रीमती उषा बारले ने गुरुबाबा घासीदास की वंदना के गीत गाये। श्री कोदूराम वर्मा का सम्मान श्री दीपक चंद्राकर, आर.एस. बारले, उषा बारले, महेश वर्मा, साहित्यकार रवि श्रीवास्तव, बसंत देशमुख, श्रीमती रोहिनी पाटनकर, श्रीमती संतोष झांझी, श्रीमती नीता कम्बोज, श्री इन्द्रेन्दुशंकर मनु, हरिशंकर उजाला, भूषण परगनिहा सुबीर अग्रवाल पथिक, कला साधक पत्रकार, निखिल पाठक, समाजसेवी लखनलाल आडिल, लखनलाल साहू, धानेश्वर निर्मल, कौशल वर्मा, तेज बहादुर बन्छोर, डॉ. केशरी वर्मा, कुबेर साहू, डॉ. निर्वाण तिवारी, संस्कृत एवं संस्कृति के आचार्य डॉ. महेशचंद्र शर्मा, बसंत शर्मा ने किया।

इस अवसर पर दुर्ग, भिलाई, राजनांदगांव, रायपुर के साहित्यकार बड़ी संख्या में उपस्थित थे।
छत्तीसगढ़ी कुर्मि क्षत्रिय समाज, मनवा कुर्मि क्षत्रिय समाज एवं अगासदिया के इस संयुक्त आयोजन में स्वागत भाषण दिया श्री गिरवर आडिल ने तथा आभार व्यक्त किया श्री मदन कश्यप ने।

इस अवसर पर कवि श्री आदित्य पाण्डे ने काव्यमय अभिनंदन-पत्र कलाकार श्री कोदूराम वर्मा को भेंट किया।

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