Tuesday, April 8, 2008

सशक्त लोकनाट्य राजा फोकलवा (13)

फोकलवा एक लड़का है जो अजीबो-गरीब हरकतें करता है, जिसे छत्तीसगढ़ी में जकड़ा कहते हैं इस हरकत से उनकी मां हमेशा परेशान रहती है मां कहती है कि जा लकड़ी काटकर ले तुझसे तो कोई और काम होता नहीं वह बड़े अनमने ढ़ंग से गुल्ली-डंडा खेल-छोड़कर जंगल की ओर जाता है जंगल में रक्सा और रक्सिन का डेरा था जो आपस में बात करते हैं कि जंगल में कोई मनुष्य आया है जिसकी खुशबू रही है दोनों बड़े प्रसन्न होते हैं कि आज मनुष्य का मांस खाने को मिलेगा जब फोकलवा को खाने के लिए रक्सा रक्सिन पहुंचते हैं तो फोकलवा कुल्हाड़ी से जबरदस्त वार करता है रक्सा-रक्सिन इस आक्रमण से घबरा कर भागने लगते हैं तभी रक्सिन की साड़ी और पैर का टोड़ा फोकलवा के हाथ लग जाता है फोकलवा उसे ही लेकर घर जाता है साड़ी और टोड़ा देखकर मां प्रसन्न होती और रक्सिन की साड़ी को पहन लेती है उस देश की राजकुमारी जब घूमने निकली तो फोकलवा की मां को इस साड़ी में देखकर जिद करती है कि यह साड़ी मुझे चाहिए फोकलवा की मां को साड़ी के लिए हर तरह का प्रलोभन दिया जाता है फिर भी वह साड़ी देने के लिए तैयार नहीं होती फोकलवा की एक ही शर्त है कि यह साड़ी मेरी दाई पहनेगी या मेरी बाई (पत्नी) राजा बहुत परेशान रहता है राजकुमारी अपनी शादी के प्रस्ताव को राजकुमारी साड़ी पाने की चाहत में स्वीकार कर लेती हैं इधर फोकलवा राजा बनने की लालसा में राजकुमारी से शादी करने को तैयार हो जाता है आनन-फानन में दोनों की शादी होती है फिर फोकलवा राजा का दामाद होने का फायदा उठाकर असामाजिक तत्वों, भ्रष्टाचार को खूब बढ़ावा देता है दिन-रात शबाब, कबाब और रंगरेलियों में डूबा रहता है उसी दौरान राजा की हत्या हो जाती है जिसे दबी जुबान से कहा जाता है कि फोकलवा ने ही अपने ससुर की हत्या की है या करवाया है राजा की मृत्यु होने के बाद फोकलवा का राजतिलक होता है और फोकलवा उसी दिन से राजा फोकलवा हो जाता है राजा फोकलवा ने सारे ईमानदार मंत्री सेनापति अधिकारी को बाहर निकालकर चाटुकार लोगों को पदों पर बिठा देता है राजा बनने की खुशी में अपनी पत्नी राजकुमारी को एक पैर का टोड़ा भेंट करता है रानी दूसरे पैर के जोड़ा के लिए फिर जिद करती है राजा फोकलवा दूसरे पैर के टोड़ा ढ़ूंढ़ने के लिए जंगल में मनखाहा रक्सा-रक्सिन से टोड़ा लाने के लिए पूरी राज सेना लगा देता है पर सेना जंगल से खाली हाथ वापिस जाती है तब राजा फोकलवा फिर टंगिया लेकर जंगल जाता है और रक्सा-रक्सिन से गले का ताबीज और टोड़ा लेकर आता है टोड़ा रानी को पहनाता है और ताबीज स्वयं

पहनता है जैसे ही ताबीज और टोड़ा राजा और रानी पहनते हैं, दोनों रक्सा और रक्सिन योनि में जाता है और जंगल के रक्सा और रक्सिन को उस योनि से मुक्ति मिल जाती है पूर्व के रक्सा-रक्सिन अपने भ्रष्टाचार और आतंक मचाने के कारण इस योनि में गये थे जो भ्रष्टाचारी होगा और आतंक मचायेगा उनके द्वारा इनके गहनों को पहनने पर रक्सा-रक्सिन को मुक्ति मिलेगी राजा फोकलवा का यही कथा-सार है राकेश तिवारी ने एक लोक-कथा को इतना रोचक, ज्ञानवर्धक बनाया है, चुटीले सटीक संवाद सुनते ही बनते है नाटक में गति है, जिससे दर्शक मंत्र-मुग्ध हो जाते हैं नाटक में यह उत्सुकता बनी रहती है कि अब क्या होगा, अब क्या होगा ? राकेश तिवारी एक अनुभवी लोक कलाकार हंै और अनुभवी निर्देशक के रूप में भी उन्होंने अपने आपको साबित किया छत्तीसगढ़ी संवाद, छत्तीसगढ़ी गीत और संगीत में माहिर राकेश तिवारी ने इस नाटक को हबीब तनवीर के ३चरणदास चोर४ के समकक्ष ला खड़ा किया है

मुख्य पात्र हैं हेमंत वैष्णव फोकलवा के किरदार को बड़ी ईमानदारी के साथ किया है फोकलवा अंदर से बड़ा कू्रर और शातिर चरित्र है लेकिन जनमानस में अपने आपको जोकर बताकर जनभावनाओं का राजनैतिक लाभ लेने कला को हेमंत ने बखूबी निभाया राजा की भूमिका एवं चमचा की भूमिका में सुदामा शर्मा ने चमचा की भूमिका के साथ ज्यादा न्याय किया है सेनापति की भूमिका में मनोज मिश्रा और रत्सा की भूमिका में नरेन्द्र यादव खूब जमें रानी का किरदार निभाने वाली कलाकार को और मेहनत की आवश्यकता है मंत्री हेमलाल पटेल, रक्सिन शारदा ठांड, पंड़ित और गणेश के रूप में पुरूषोत्तम चंद्राकर एवं अन्य कलाकारों ने अभिनय के साथ न्याय किया है संगीत पक्ष एवं गायनपक्ष नाटक को बांधे रखता है नाटक के गीत बड़े ही रोचक और लुभावने हैं गीतों में छत्तीसगढ़ी लोक शैली का प्रयोग किया गया है लेकिन मूल लोक गायिका की कमी खलती है राजा फोकलवा सन्देश परक नाटक है लोक कथा पर आधारित है छत्तीसगढ़ का लोक नाचा छत्तीसगढ़ की लोक कला की जान है, छत्तीसगढ़ की पहचान है छत्तीसगढ़ की शान है

- महेश वर्मा, महामाया रोड, कुम्हारी

1 comment:

Unknown said...

हमारी लोक संस्कृति की भीनी महक निश्चित रूप से क़ाबिले तारिफ है...लीक से हटकर अनूठी पस्तुति है "राजा फोकलवा" प्रभावकारी मंचन हेतु अनंत शुभकामनायें........

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