फोकलवा एक लड़का है । जो अजीबो-गरीब हरकतें करता है, जिसे छत्तीसगढ़ी में जकड़ा कहते हैं । इस हरकत से उनकी मां हमेशा परेशान रहती है । मां कहती है कि जा लकड़ी काटकर ले आ । तुझसे तो कोई और काम होता नहीं । वह बड़े अनमने ढ़ंग से गुल्ली-डंडा खेल-छोड़कर जंगल की ओर जाता है । जंगल में रक्सा और रक्सिन का डेरा था जो आपस में बात करते हैं कि जंगल में कोई मनुष्य आया है जिसकी खुशबू आ रही है । दोनों बड़े प्रसन्न होते हैं कि आज मनुष्य का मांस खाने को मिलेगा । जब फोकलवा को खाने के लिए रक्सा रक्सिन पहुंचते हैं तो फोकलवा कुल्हाड़ी से जबरदस्त वार करता है । रक्सा-रक्सिन इस आक्रमण से घबरा कर भागने लगते हैं । तभी रक्सिन की साड़ी और पैर का टोड़ा फोकलवा के हाथ लग जाता है । फोकलवा उसे ही लेकर घर आ जाता है । साड़ी और टोड़ा देखकर मां प्रसन्न होती और रक्सिन की साड़ी को पहन लेती है । उस देश की राजकुमारी जब घूमने निकली तो फोकलवा की मां को इस साड़ी में देखकर जिद करती है कि यह साड़ी मुझे चाहिए । फोकलवा की मां को साड़ी के लिए हर तरह का प्रलोभन दिया जाता है फिर भी वह साड़ी देने के लिए तैयार नहीं होती । फोकलवा की एक ही शर्त है कि यह साड़ी मेरी दाई पहनेगी या मेरी बाई (पत्नी) राजा बहुत परेशान रहता है । राजकुमारी अपनी शादी के प्रस्ताव को राजकुमारी साड़ी पाने की चाहत में स्वीकार कर लेती हैं । इधर फोकलवा राजा बनने की लालसा में राजकुमारी से शादी करने को तैयार हो जाता है । आनन-फानन में दोनों की शादी होती है । फिर फोकलवा राजा का दामाद होने का फायदा उठाकर असामाजिक तत्वों, भ्रष्टाचार को खूब बढ़ावा देता है । दिन-रात शबाब, कबाब और रंगरेलियों में डूबा रहता है । उसी दौरान राजा की हत्या हो जाती है । जिसे दबी जुबान से कहा जाता है कि फोकलवा ने ही अपने ससुर की हत्या की है या करवाया है । राजा की मृत्यु होने के बाद फोकलवा का राजतिलक होता है और फोकलवा उसी दिन से राजा फोकलवा हो जाता है । राजा फोकलवा ने सारे ईमानदार मंत्री सेनापति अधिकारी को बाहर निकालकर चाटुकार लोगों को पदों पर बिठा देता है । राजा बनने की खुशी में अपनी पत्नी राजकुमारी को एक पैर का टोड़ा भेंट करता है । रानी दूसरे पैर के जोड़ा के लिए फिर जिद करती है । राजा फोकलवा दूसरे पैर के टोड़ा ढ़ूंढ़ने के लिए जंगल में मनखाहा रक्सा-रक्सिन से टोड़ा लाने के लिए पूरी राज सेना लगा देता है । पर सेना जंगल से खाली हाथ वापिस आ जाती है । तब राजा फोकलवा फिर टंगिया लेकर जंगल जाता है और रक्सा-रक्सिन से गले का ताबीज और टोड़ा लेकर आता है । टोड़ा रानी को पहनाता है और ताबीज स्वयं
पहनता है । जैसे ही ताबीज और टोड़ा राजा और रानी पहनते हैं, दोनों रक्सा और रक्सिन योनि में आ जाता है और जंगल के रक्सा और रक्सिन को उस योनि से मुक्ति मिल जाती है । पूर्व के रक्सा-रक्सिन अपने भ्रष्टाचार और आतंक मचाने के कारण इस योनि में आ गये थे । जो भ्रष्टाचारी होगा और आतंक मचायेगा उनके द्वारा इनके गहनों को पहनने पर रक्सा-रक्सिन को मुक्ति मिलेगी । राजा फोकलवा का यही कथा-सार है । राकेश तिवारी ने एक लोक-कथा को इतना रोचक, ज्ञानवर्धक बनाया है, चुटीले सटीक संवाद सुनते ही बनते है । नाटक में गति है, जिससे दर्शक मंत्र-मुग्ध हो जाते हैं । नाटक में यह उत्सुकता बनी रहती है कि अब क्या होगा, अब क्या होगा ? राकेश तिवारी एक अनुभवी लोक कलाकार हंै और अनुभवी निर्देशक के रूप में भी उन्होंने अपने आपको साबित किया । छत्तीसगढ़ी संवाद, छत्तीसगढ़ी गीत और संगीत में माहिर राकेश तिवारी ने इस नाटक को हबीब तनवीर के ३चरणदास चोर४ के समकक्ष ला खड़ा किया है ।
मुख्य पात्र हैं हेमंत वैष्णव फोकलवा के किरदार को बड़ी ईमानदारी के साथ किया है । फोकलवा अंदर से बड़ा कू्रर और शातिर चरित्र है लेकिन जनमानस में अपने आपको जोकर बताकर जनभावनाओं का राजनैतिक लाभ लेने कला को हेमंत ने बखूबी निभाया । राजा की भूमिका एवं चमचा की भूमिका में सुदामा शर्मा ने चमचा की भूमिका के साथ ज्यादा न्याय किया है । सेनापति की भूमिका में मनोज मिश्रा और रत्सा की भूमिका में नरेन्द्र यादव खूब जमें । रानी का किरदार निभाने वाली कलाकार को और मेहनत की आवश्यकता है । मंत्री हेमलाल पटेल, रक्सिन शारदा ठांड, पंड़ित और गणेश के रूप में पुरूषोत्तम चंद्राकर एवं अन्य कलाकारों ने अभिनय के साथ न्याय किया है । संगीत पक्ष एवं गायनपक्ष नाटक को बांधे रखता है । नाटक के गीत बड़े ही रोचक और लुभावने हैं । गीतों में छत्तीसगढ़ी लोक शैली का प्रयोग किया गया है । लेकिन मूल लोक गायिका की कमी खलती है । राजा फोकलवा सन्देश परक नाटक है । लोक कथा पर आधारित है । छत्तीसगढ़ का लोक नाचा छत्तीसगढ़ की लोक कला की जान है, छत्तीसगढ़ की पहचान है । छत्तीसगढ़ की शान है ।
- महेश वर्मा, महामाया रोड, कुम्हारी
1 comment:
हमारी लोक संस्कृति की भीनी महक निश्चित रूप से क़ाबिले तारिफ है...लीक से हटकर अनूठी पस्तुति है "राजा फोकलवा" प्रभावकारी मंचन हेतु अनंत शुभकामनायें........
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