- पवन दीवान
डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा स्मृति समारोह देवादा में आयोजित हुआ । मुख्य अतिथि संत कवि पवन दीवान एवं अध्यक्ष भूपेश बघेल ने इस अवसर पर कलाकार महेश वर्मा एवं दुर्योधन राव को दाऊ महासिंह चंद्राकर सम्मान प्रदान किया । दाऊ महासिंह चंद्राकर की धर्मपत्नी श्रीमती गया बाई चंद्राकर विशेष अतिथि के रूप में उपस्थित थीं । पवन दीवान ने इस अवसर पर कहा कि डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ने छत्तीसगढ़ महतारी की वंदना का लेखन किया । जिस भाषा में श्री राम की माता कौशिल्या ने श्रीराम को संस्कारित किया वह भाषा है छत्तीसगढ़ी । ऐसी विलक्षण और समृद्ध भाषा का अब तक मान नहीं हुआ है । इसे राजभाषा का दर्जा देकर छत्तीसगढ़ के प्रति सम्मान शीघ्र ही व्यक्त किया जाना चाहिए, मैंने अपना पूरा जीवन छत्तीसगढ़ के लिए सौंप दिया । अब जो शेष जीवन बचा है वह छत्तीसगढ़ महतारी की सेवा के लिए है । डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा एवं महासिंह चंद्राकर छत्तीसगढ़ महतारी के सच्चे सपूत थे । साहित्यकारों ने ही छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण को संभव बनाया है । उन पर ही भाषा और संस्कृति के मान का भार है । एक साथ जुटकर हम बची लड़ाई लड़ेंगे और जीतेंगे । कार्यक्रम के अध्यक्ष भूपेश बघेल ने कहा कि पाटन वीर सेनानियों का क्षेत्र है । इस क्षेत्र ने सदा त्याग किया है । साहित्यकारों ने सदैव समाज एवं राष्ट्र का मार्गदर्शन किया है । साहित्यकारों के मार्गदर्शन में ही बड़ी लड़ाई जीती जाती है ।
उन्होंने आगामी वर्ष से डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा की स्मृति में छत्तीसगढ़ के गौरव के लिए समर्पित कलाकार को पांच हजार एक रूपये से सम्मानित करने की घोषणा की । डॉ. सत्यभाषा आडिल ने छत्तीसगढ़ी भाषा की उपेक्षा से होने वाले नुकसान का सविस्तार वर्णन किया । उन्होंने उदाहरण देकर बताया कि छत्तीसगढ़ी वैज्ञानिक भाषा है । दुनिया की किसी भी भाषा से टक्कर लेने की क्षमता है । छत्तीसगढ़ी में राजनादगाँव से पधारे डॉ. नरेश कुमार वर्मा ने कहा कि डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा होते तो छत्तीसगढ़ी भाषा की लड़ाई हम जीत चुके होते । समाजसेवी केयूरभूषण ने छत्तीसगढ़ आंदोलन के इतिहास के संबंध में सविस्तार बताते हुए कहा कि यह एक बलिदानी परंपरा है जिसके बल पर हमें हमारा प्रदेश मिला है किन्तु पुरखों के सपनों का छत्तीसगढ़ नहीं बना है । बालचंद कछवाहा ने कहा कि डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा ने अपना जीवन छत्तीसगढ़ के लिए समर्पित कर दिया था । उन्होंने छोटे से जीवन में बड़ा काम कर दिखाया । कवि मुकुन्द कौशल ने सोनहा बिहान का इतिहास बताते हुए महासिंह चंद्राकर के समर्पित जीवन का परिचय दिया । रामेश्वर वैष्णव ने कहा कि डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा को हम सबने याद किया क्योंकि वे जनकवि जनता के साहित्यकार थे । बिसंभर यादव मरहा, मुकुन्द कौशल, रामेश्वर वैष्णव ने काव्य पाठ कर श्रोताओं को मंत्रमुग्ध कर दिया । अगासदिया के अध्यक्ष डॉ. परदेशीराम वर्मा ने स्वागत भाषण में कहा कि छत्तीसगढ़ के महापुरूषों और समर्पित सपूतों पर गांव-गांव में कार्यक्रम आयोजित कर जागृति का शंखनाद करना हमारा लक्ष्य है । अगासदिया छत्तीसगढ़ी भाषा, लोककला, साहित्य एवं संस्कृति के लिए समर्पित मंच है । इस अवसर पर प्रसिद्ध स्वतंत्रता सेनानी जमुना प्रसाद कसार, साहित्यकार डॉ. निर्वाण तिवारी, डॉ. डी.के. मंडरिक, खड़ानन वर्मा, कौशल वर्मा, नरेन्द्र राठौर, भेषज मढ़रिया, समाजसेवी मनहरण साहू भी उपस्थित थे । बसंत देशमुख ने आभार व्यक्त करते हुए कहा कि डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा और महासिंह चंद्राकर ने मिलकर छत्तीसगढ़ी स्वाभिमान एवं शक्ति का डंका देश भर में बजाया । इस परंपरा को आगे बढ़ाना जरूरी है । रात्रि ९:०० बजे से कुम्हारी के लोकमया के कलाकारों द्वारा कार्यक्रम प्रस्तुत किया गया । सरपंच ररूहा राम वर्मा तथा महेन्द्र वर्मा सहित समस्त ग्रामीणजनों ने इस कार्यक्रम में सहयोग दिया ।
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