Tuesday, April 8, 2008

डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा के शब्दों को मंच पर आकार देने वाले साधक दाऊ महासिंह चंद्राकर (7)

- डॉ. परदेशीराम वर्मा

अपने पैतृक गांव मतवारी के निरक्षर श्रमिक सरवन केंवट से तबला की प्रारंभिक शिक्षा लेने वाले दाऊ महासिंह चंद्राकर अत्यंत समृद्ध मालगुजार परिवार में जन्में लोक संगीत और लोकमंच से जुड़ने की अपनी उत्कृष्ट अभिलाषा के कारण उन्हें पारिवारिक बंदिशों से दो-चार भी होना पड़ा लेकिन अंतत: कलावंत सपूत की दृढ़ इच्छा शक्ति को देखते हुए परिवार ने कला परंपरा को सहर्ष स्वीकृत किया भठभेरा नाचा दल के हारमोनियम उस्ताद बालकृष्ण जी से पेटी बजाने की कला सीखने वाले दाऊ महासिंह चंद्राकर वादन, गायन एवं अभिनय से प्रत्यक्षत: जुड़े रहने वाले मंच संयोजक थे ‘सोनहा बिहान’ उनकी ऐसी प्रस्तुति रही जिससे छत्तीसगढ़ अंचल की परंपरा, सहजता, सेवा भावना और तमाम विशेषताओं को स्वर, कथा और नृत्य के माध्यम से सम्मोहक मंचीय संस्पर्श मिला

‘सोनहा बिहान’ से जुड़े कलाकारों, संगीत और शब्द के जादुगरों ने छत्तीसगढ़ ही नहीं, देश भर में अपनी पहचान बनाकर एक नया इतिहास रच दिया यशस्वी कलादल के हर सदस्य के भीतर छुपी प्रतिभा को संवारने एवं आकार देने के लिए नेपथ्य में रहकर दाऊ महासिंह चंद्राकर ने ऐसा सम्बल प्रदान किया जिससे गांव-गांव के कलाकारों को छत्तीसगढ़ी लोकमंच का ‘सोनहा बिहान’ दृष्टिगत होने लगा

छत्तीसगढ़ी लोक कला महोत्सव ९९ के अंतिम दिवस के समारोह में विशिष्ट दर्शकों में वे लोग भी सम्मिलित थे जिनका इस मंच पर पूर्व में सम्मान हो चुका है दर्शक दीर्घा मे बैठे विशिष्ट जनों में से एक श्रीमती ममता चंद्राकर आकाशवाणी रायपुर की सहायक केन्द्र निदेशक एवं सुप्रसिद्ध गायिका, श्रीमती ममता चंद्राकर का सम्मान ९८ में मंच पर हुआ यह दुलर्भ संयोग है कि इस मंच पर उनके पिता दाऊ महासिंह चंद्राकर का भी सम्मान १९९५ में हुआ इस मंच की यह उल्लेखनीय घटना है इस मंच पर स्वरसाधिका यशस्वी पुत्री एवं मंचसेवी कलावंत पिता की यह जोड़ी सम्मानित हो चुकी है श्रीमती ममता चंद्राकर के पिता दाऊ महासिंह चंद्राकर का सम्मान एवं उनके दल का प्रदर्शन बेहद प्रभावी बन पड़ा

दाऊ महासिंह चंद्राकर ने कला की साधना परंपरा को अपनी पुत्रियों के माध्यम से नया आयाम दिया दाऊ महासिंह चंद्राकर की ज्येष्ठ पुत्री रानी चंद्राकर बाकायदा कत्थक की प्रशिक्षित नृत्यंगना है रानी ने छत्तीसगढ़ के बहुतेरे कलाकारों को नृत्य सिखाया छोटी पुत्री ममता ने भी खैरागढ़ विश्वविद्यालय में ही एम.म्यूज. की डिग्री प्राप्त की अपने सतत् अभ्यास और साधना से ममता ने गायन में नई ऊंचाईयों को स्पर्श किया दाऊ महासिंह चंद्राकर वाद्य यंत्रों को बजाने में सिद्ध हस्त थे वह हर बाजा के जानकार थे साथ ही गायन में विशेष अंदाज के लिए वे जाने जाते हैं रिसामा के मालगुजार परिवार में जन्मे दाऊ महासिंह चंद्राकर का गांव मतवारी कला ग्राम के रूप में सम्मानित है ? दाऊजी का जन्म अरमरी में १९१९ में हुआ

उनके पहले गवइंहा तबला गुरू थे सरवन केंवट भटभेरा साज के हारमोनियम के उस्ताद बाल कृष्ण से उन्होंने हारमोनियम बजाना सीखा कलाकारों को अपने बांड़ा में ही रखकर कला साधना करते हुए दाऊ महासिंह चंद्राकर सीखते रहे मार्च ७४ को दाऊजी ने ओटेबंद में ३सोनहा बिहान४ का पहला प्रदर्शन किया १९७१ में इसके पूर्व रामचंद्र देशमुख चंदैनी गोंदा प्रस्तुत कर चुके थे चंदैनी गोंदा ने एक प्रेरक वातावरण बनाया था छत्तीसगढ़ के लोक मंच पर नये स्वर्ण विहान रूपी नये सूर्य के उदित होते ही सोनहा बिहान का आभास सबको हो गया पहली प्रस्तुति ही रोमांचक सिद्ध हुई सधे हुए कलाकारों की पूरी तैयारी के बाद मंच पर अवतरण हुआ दर्शक ठगे से रह गये दाऊ महासिंह चंद्राकर के साथ जुड़े छत्तीसगढ़ के प्रख्यात साहित्यकार डॉ. नरेन्द्र देव वर्मा सुबह की तलाश नरेन्द्र देव वर्मा का प्रसिद्ध उपन्यास है वर्मा जी भी छत्तीसगढ़ी मंच की शक्ति से परिचित थे इसीलिए उसकी अंर्तशक्ति का रचनात्मक उपयोग करना जानते थे सुबह की तलाश के लेखक दाऊ जी के साथ मिलकर सोनहा बिहान को मंच पर उतार लाने का जतन किया इसमें उन्हें सफलता भी मिली

मिथिलेश साहू, दीपक चंद्राकर, ममता, रानी, पुष्पलता जैसे कलाकार सोनहा बिहान से जुड़े इस संस्था के कई कलाकारों का सम्मान छत्तीसगढ़ी लोक कला महोत्सव के मंच से हो चुका है ३लोरिक चंदा४ दाऊ महासिंह चंद्राकर की प्रभावी प्रस्तुति थी लक्ष्मण चंद्राकर, रामह्रदय तिवारी, प्रेम साइमन सहित प्रतिभा संपन्न कलाकारों ने इस प्रस्तुति को बहु आयाम दिया

दूरदर्शन द्वारा इसे प्रसारित किया गया लोरिक चंदा को अपार ख्याति मिली किसान संस्कृति और ग्रामीण परंपरा से जुड़े दाऊ महासिंह चंद्राकर किसान की तुलना मधुमक्खी से करते थे मधुमक्खी जो छत्ता बनाती है, जिसका मधुरस सबकों मिठास देता है किसान भी इसी तरह श्रम करता है और दुनिया को सुख बांटने के लिए सतत दु: उठाता है

दाऊ महासिंह चंद्राकर के यशस्वी पुत्र डॉ. भूधर चंद्राकर भिलाई इस्पात संयंत्र के जवाहर लाल नेहरू अनुसंधान केन्द्र में हड्डी रोग विशेषज्ञ के रूप में कार्यरत थे अब वे चंदूलाल चंद्राकर स्मृति अस्पताल में अपनी सेवा से इस संस्थान का यश चतुर्दिक फैला रहे हैं अंचल के विशेषज्ञों में अपनी दक्षता के कारण बेहद सम्मानित डॉ. भुधर चंद्राकर के अतिरिक्त दाऊ महासिंह चंद्राकर के परिवार में कला कुशल नई पीढ़ी के यशस्वी सदस्य है श्री लक्ष्मण चंद्राकर दाऊ जी के अनुज श्री वासुदेव चंद्राकर के सुपुत्र है

श्री लक्ष्मण चंद्राकर ने छत्तीसगढ़ी लोककला महोत्सव के मंच की सज्जा कर एक वर्ष अपनी कल्पनाशीलता से संवारा है उनके कार्यकाल में साडा में भी छत्तीसगढ़ लोककला महोत्सव का सफल आयोजन हो चुका है उल्लेखनीय है कि साडा के लोककला महोत्सव में छत्तीसगढ़ लोककला महोत्सव भिलाई इस्पात संयंत्र का ऐतिहासिक मंच प्रस्तुत हुआ था

दाऊ महासिंह चंद्राकर जीवन पर्यन्त कला साधना में लगे रहे अंतिम सांस तक वे इससे अलग नहीं हुए उन्होंने २८ अगस्त ९७ को भी दिन में तबला ढ़ोलक हारमोनियम के साथ रियाज किया उसी दिन उन्होंने गाते बजाते हुए महाप्रयाण किया छत्तीसगढ़ के इस कला साधक ने पीढ़ियों को जो अवदान दिया उसे नमन करते हुए उनकी स्मृति में सम्मान की घोषणा की गई अगासदिया मंच ने दाऊ महासिंह चंद्राकर स्मृति सम्मान की शुरूआत २००० से की डॉ. भूधर चंद्राकर दाऊ महासिंह चंद्राकर के यशस्वी सपूत है उनकी उदार पहल से हम यह सम्मान प्रारंभ कर सके

पहला दाऊ महासिंह चंद्राकर सम्मान २००० में पंथी के प्रसिद्ध कलाकार श्री देवदास बंजारे को दिया गया उसके बाद क्रमश: रिखी क्षत्रिय, डॉ. आर.एस. बारले तथा श्री के.के. पाटिल को यह सम्मान प्राप्त हुआ

दाऊ महासिंह चंद्राकर अगासदिया सम्मान २००४ में प्रसिद्ध पंडवानी गायिका श्रीमती सीमा कौशिक को दिया गया है ? श्रीमती सीमा कौशिक का जन्म सन् १९६९ में ग्राम इंदौरी जिला कवर्धा में हुआ छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री माननीय डॉ. रमनसिंह के गृह जिले की इस भरथरी साधिका ने भरथरी विद्या को लोकप्रिय बनाने मेंं विशेष सहयोग दिया है पिता श्री बाबूलाल एवं माता श्रीमती शांतिबाई की बिटिया श्रीमती सीमा कौशिक १३ वर्ष की उम्र से मंच पर प्रदर्शन दे रही है अगासदिया मंच पर ग्राम ओटेबंद में श्रीमती सीमा कौशिक को पहले पहल सम्मानित किया गया अगासदिया द्वारा दाऊ महासिंह चंद्राकर सम्मान समारोह में पूर्व में भी अपना प्रदर्शन दे चुकी है

रेडियो सुनकर गाने के लिए प्रेरित बालिका सीमा को परिवार से भरपूर प्रोत्साहन मिला छोटे-छोटे मंचों पर सीमा को अवसर मिला फिर उसने स्वयं गीत रचने का प्रयास किया ‘मोंगरा के फूल’ सांस्कृतिक दल बनाकर श्रीमती सीमा कौशिक ने मंचों पर कार्यक्रम देना प्रारंभ किया राज्य सरकार, भारत सरकार के स्वास्थ्य कार्यक्रमों के लिए सीमा कौशिक ने नाटक एवं गीत लिखकर खूब यश प्राप्त किया

सीमा कौशिक के दल में शोषित तब के संघर्षरत कलाकार एकजुट हुए उन्होंने अपने कौशल से अपने लिए नया आकाश निर्मित कर लिया छत्तीसगढ़ की इस प्रतिभा संपन्न कलाकार को भिन्न-भिन्न सांस्कृतिक दलों ने सम्मानित किया है शासकीय, अशासकीय मंचों एवं माध्यमों ने श्रीमती सीमा कौशिक को सम्मानित किया है दाऊ महासिंह चंद्राकर पर केन्द्रित इस अंक में भरथरी विधा पर एक शोध परक लेख भी दिया जा रहा है पूर्व में सम्मानित कलाकारों का संक्षिप्त परिचय भी इस अंक में है

मैं कृतज्ञ हूं छत्तीसगढ़ के महामहिम राज्यपाल सेवा निवृत्त लेफ्िटनेंट जनरल माननीय श्री के.एम. सेठ जी के प्रति जिन्होंने मेरे छोटे से गांव लिमतरा में आयोजित इस समारोह में पधारकर हम सबका मान बढ़ा दिया मैं तीन वर्ष ही आसाम राइफल्स में सिपाही रहा १९६६-१९६९ नागालैण्ड और मिजोहिल्स की दुर्गम पहाड़ियों में जोंक और मच्छरों से भी सिपाही लोहा लेता था वह अपार असुविधाओं का युग था मैं उन कष्ट भरे दिनों के बदले इस तरह पुरस्कृत किया जाऊंगा यह मैंने कभी सोचा नहीं था मैं जानता हूँ कि कृपालु महामहिम राज्यपाल महोदय ने एक भूतपूर्व सैनिक को पुरस्कृत किया है इस अंक के प्रकाशन का श्रेय अगासदिया के हितैषी मेरे अग्रज डॉ. रविशंकर नायक को जाता है जिन्होंने अवसर की गरिमा के अनुकूल अंक को केन्द्रित करने का महत्वपूर्ण सुझाव और संसाधन भी दिया

No comments:

सत्वाधिकारी प्रकाशक - डॉ. परदेशीराम वर्मा

प्रकाशित सामग्री के किसी भी प्रकार के उपयोग के पूर्व प्रकाशक-संपादक की सहमति अनिवार्य हैपत्रिका में प्रकाशित रचनाओं से प्रकाशक - संपादक का सहमत होना अनिवार्य नहीं है

किसी भी प्रकार के वाद-विवाद एवं वैधानिक प्रक्रिया केवल दुर्ग न्यायालयीन क्षेत्र के अंतर्गत मान्य

हम छत्तीसगढ के साहित्य को अंतरजाल में लाने हेतु प्रयासरत है, यदि आप भी अपनी कृति या रचना का अंतरजाल संस्करण प्रस्तुत करना चाहते हैं तो अपनी रचना की सीडी हमें प्रेषित करें : संजीव तिवारी (tiwari.sanjeeva जीमेल पर) मो. 09926615707