Saturday, July 26, 2008

प्रथम डॉ. खूबचन्द बघेल अगासदिया सम्मान से विभूषित दाऊ वासुदेव चन्द्राकर

अमृत सम्मान परिशिष्ट

जन्म तिथि : २६ मार्च १९२८ स्थान : रिसामा
अगासदिया के सलाहकार यशस्वी कवि श्री रवि श्रीवास्तव की यह प्रसिद्ध कविता अगासदिया के संरक्षक दाऊ वासुदेव चन्द्राकर के अमृत सम्मान के अवसर पर प्रकाशित की जा रही है।
पिता या माँ लिखी रचनाओं से गुजरते हुए प्राय: हर व्यक्ति अपनी दुनियाँ में संतरण करने लगताहै। रचना के केन्द्र में हर पाठक को अपने माता-पिता नजर आते हैं।
छत्तीसगढ़ मध्यप्रदेश से कटकर बना मगर अभी छत्तीसगढ़ को छत्तीसगढ़ बनने में शायद काफी समय लगेगा।
हरचन्द कल के लिए सोचने वाले छत्तीसगढ़ के यशस्वी सपूत और अगासदिया के पितृपुरुष दाऊ वासुदेव चन्द्राकर को इस कविता के माध्यम से हम आश्वास्त करना चाहते हैं कि मिलजुलकर हम दीमकों से बचायेंगे अपने छत्तीसगढ़ को।

- संपादक

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