Saturday, July 26, 2008

जीवन वृत्त

# जन्म - २६ मार्च १९२८
# शिक्षा - नान मेट्रिक
# पिता - स्व. दाऊ रामदयाल चंद्राकर
# व्यवसाय - कृषि
# अभिरुचि - सामाजिक, राजनीतिक सेवा एवं आध्यात्म
# पैतृक ग्राम - मतवारी जिला दुर्ग
# पता - गायत्री मंदिर वार्ड, स्टेशन रोड, दुर्ग (छ.ग.)
# १९४२ के भारत छोड़ो आंदोलन में भागीदारी
# १९४३ में नागपुर जाकर मगललाल बागड़ी जैसे क्रांतिकारी के साथ रहकर प्रशिक्षण
# १९४५ में पुन: दुर्ग वापसी
# १९ वर्ष की उम्र में १९४६ में विवाह
# १९४७ में बागड़ी जी के सेनापतित्व में लालसेना के सिपाही के रुप में हैदराबाद में तैनात
# १९७२ में कृषि उपज मंडी दुर्ग के अध्यक्ष
# १९४६ से १९६३ तक जिला कांग्रेस समाजवादी पार्टी, प्रजा समाजवादी पार्टी एवं समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष
# १९६३ में कांग्रेस प्रवेश
# १९५८ से १९६५ तक दुर्ग नगर पालिका समिति के वरिष्ठ उपाध्यक्ष
# १९७२ से जिला कांग्रेस कमेटी दुर्ग के महामंत्री तथा प्रदेश कांग्रेस कमेटी के सदस्य
# १९७५ से अभी तक दुर्ग जिला कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष
# १९६८ से ७४ तक केंद्रीय सहकारी बैक दुर्ग के सचिव
# १९७५ से ७७ तक कंेद्रीय सहकारी बैंक दुर्ग के उपाध्यक्ष
# १९७२ से मार्केटिंग सोसायटी के संचालक
# १९६७ से ७२ तक गुंडरदेही से तथा १९७७ से ८० तक खेरथा से म.प्र. विधान सभा के सदस्य
# १९८० से पुन: विधायक खेरथा से। १९८५ में पुन: विधायक
# १९८० से ९६ तक म.प्र. राज्य विपणन संघ के अध्यक्ष
# १९९२ में अर्जुन्दा में विराट पिछड़ा वर्ग सम्मेलन। जहां छत्तीसगढ़ राज्य का शंखनाद किया गया और भिलाई में छत्तीसगढ़ राज्य के समर्थन में निकला विराट जुलूस। दोनों में दाऊ जी की विशिष्ट भूमिका।
# १९९० में दाऊ जी मात्र २२ वोट से चुनाव हार गए। इस पराजय ने उन्हें अध्यात्म के मार्ग का राही बना दिया। सभी व्यसनों को छोड़ वे हरिजन भजन के सदव्यसन को जीवन के केन्द्र में ले आए।
# अब वे प्रतिदिन रामायण पाठ करते हैं। नित्यप्रति योग साधना के साथ ही संतों के सत्संग में रहने का प्रयास करते हैंतथापि दुर्ग जिले की राजनीति से जुड़े सभी प्रमुख जन दाऊजी ही हर गतिविधि का आंकलन सांस रोक कर करते हैं।
# ना काहू से दोस्ती ना काहू से बैर। पचहत्तर वर्षोंा का आंदोलनकारी जननेता आज भी सक्रिय है।

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