Saturday, July 26, 2008

नेलशन कलागृह और सियान संरक्षक दाऊ वासुदेव चंद्राकर

दाऊ वासुदेव चंद्राकर के प्रति यशस्वी मूर्तिकार जे.एम. नेलशन का गहरा सम्मान भाव ही था कि वे उनके ७५वें जन्म दिवस पर भव्य पोट्रेट बनाकर नि:शुल्क भेंट करते समय उनसे लिपटकर रो पड़े। दाऊ जी ही वह पहले बड़े व्यक्ति थे जिन्होंने अगासदिया के आयोजन में कहा था कि नेलशन जैसे बड़े कलाकार को शीघ्र ही पद्मश्री मिलना चाहिये। यह छत्तीसगढ़ का लाड़ला कलाकार है जिसने देश विदेश में नाम किया है।

दाऊजी नेलशन कलागृह के सियान और संरक्षक थे। अपने पिता दाऊ रामदयाल चंद्राकर की मूर्ति बनाने का आदेश दाऊजी ने नेलशन को दिया था। नेलशन के तीन वर्ष पूर्व मूर्ति गढ़ दिया था जिसे दाऊ जी ओटेबंद में लगाने की योजना बना रहे थे। उनके अवसान के बाद मार्बल कास्टिंग की मूर्ति के साथ ही धातु की मूर्ति की योजना बनी। डॉ. भूधर चंद्राकर एवं भाई लक्ष्मण चंद्राकर ने दाऊ दामदयाल चंद्राकर की मूर्ति को धातु में ढालने का आग्रह किया। नेलशन अब इस सजीव मूर्ति को ढाल चुके हैं। नेलशन की कला से प्रभावित दाऊ वासुदेव चंद्राकर ने सबसे पहले महात्मा गांधी की मूर्ति बनाकर देने का आग्रह किया। नेलशन ने नि:शुल्क यह मूर्ति बनाकर दे दिया जिसे स्थापित करने के लिए गोढ़ी से लेकर कोलिहापुर की यात्रा हुई। अंतत: यह मूर्ति कोलिहापुरी में स्थापित हुई। इस मूर्ति स्थापना के अवसर पर ही दाऊ वासुदेव चंद्राकर ने भरपुर आशीष दिया। आगे चलकर नेलशन द्वारा निर्मित गांधी जी की मूर्ति छत्तीसगढ़ विधानसभा भवन परिसर में स्थापित हुई।

प्रस्तुत है गांधी जी की मूर्ति के निर्माण की कथा -

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